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वर्तमान भारत में आडम्बर एक कुविचार: ABVP टिया चौहान

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द पोपटलाल — एक बात का स्पष्टीकरण कभी प्राप्त नहीं हुआ कि आडम्बर शब्द का प्रयोग और उदाहरण केवल हिन्दू धर्म मे ही क्यों दिया जाता है। हिन्दू धर्म-आस्था-मन्दिरों के नाम से एक सुनियोजित ढंग से मतभेद उत्पन्न कर सामाजिक अव्यवस्था दर्शाना अंततः वर्ण-जाती-सम्प्रदाय को श्रृंखलाबद्ध जोड़ते हुए धर्म विशेष “हिन्दू” को वर्तमान में आडम्बर शब्द के कुविचार से जोड़ना बिल्कुल गलत है। आज हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी ने आरक्षण को आर्थिक स्थिति पर आधारित करने की सुदृढ़ पहल किए जिस सिक्के का दूसरा पहलू इस बात को स्पष्ट करता है कि जाति व्यवस्था भी कोई मायने नहीं रखेगा।वर्ण व्यवस्था समाजिक आडम्बर है न कि देश मे हिंदू धर्म;आप जिस धर्म मे जन्में हैं उसकी रक्षा का दायित्व भी उस जन्मभूमि के प्रति जन्म से आपपर कर्ज़ है जिसका ध्यान रखना चाहिए और आडम्बर शब्द जो वर्तमान भारत मे केवल एक कुविचार है उसका हिन्दू धर्म से कोई मेल नहीं इस बात को समझते हुए विनम्र व जागरूक होने की आवश्यकता है।

“जितेश जायसवाल की रिपोर्ट”

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