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हिड़मा को धोखे से फर्जी मुठभेड़ में मारा गया, आत्मसमर्पण करने वाला था

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सुकमा। ग्राम पूर्वती के कुख्यात नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे के अंतिम संस्कार के साथ ही बस्तर के जंगलों में नक्सल आतंक का एक अध्याय समाप्त हो गया। सुरक्षाबलों के लिए यह एक बड़ी कामयाबी पर हिड़मा की मौत को लेकर मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हिड़मा की मौत पर उसके साले ललित ने आरोप लगाया कि हिड़मा आत्मसमर्पण करने वाला था, और वह आंध्रप्रदेश की पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहा था। उसे धोखे से मारा गया है। ललित ने यह भी कहा कि जिस समय मुठभेड़ हुआ उस दौरान आंध्रप्रदेश के कई शीर्ष नक्सली नेता भी उसी इलाके में मौजूद थे। जिन्हें आंध्रप्रदेश की सरकार और पुलिस ने बचा लिया, जबकि बस्तर के नक्सलियों का फर्जी मुठभेड़ कर दिया गया।
हिड़मा के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए आए हिड़मा की पत्नी मदगाम राजे के भाई ललित मरकाम से स्थानिय पत्रकारों ने हिड़मा और राजे के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हिड़मा आत्मसमर्पण करने वाला था, और वह आंध्रप्रदेश की पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहा था। उसे धोखे से मारा गया है। उन्होने कहा कि जो व्यक्ति कड़ी सुरक्षा के बीच रह रहा हो। इतने साल तक किसी के हाथ नहीआए और उसकी सुरक्षा में 60 से 70 लोग तैनात रहते हो उस तक पहुंचना मुश्किल था। यदि मुठभेड़ होती तो पहले छोटे लेयर के लोग की जान जाती,लेकिन यहां पर सीधा बीच में जाकर मारा गया है। शवों को देखकर यही लग रहा है कि फर्जी मुठभेड़ किया गया है।
इस आरोप पर शुक्रवार को आंध्रप्रदेश के अल्लूरी सीताराम जिले के एसपी अमित बरदार ने कहा कि इस तरह के निराधार आरोप तो लगते रहते हैं। उन्होने बताया कि बेशक हिड़मा चार लेयर की सुरक्षा में रहता रहा होगा, लेकिन आंध्रप्रदेश का यह जंगल उसके लिए पूरी तरह से नया था। यहां उसकी विचारधारा को कोई नहीं मानता और उसे कोई सपोर्ट नहीं मिलता। एसपी ने बताया की हिड़मा चार लेयर तो नहीं मगर दो लेयर की सुरक्षा में जरूर था, इसीलिए मुठभेड़ खत्म होने में काफी समय लग गया, वरना यह मुठभेड़ बहुत जल्द खत्म हो जाता।

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