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जगदलपुर-रावघाट रेललाइन का सीमांकन हुआ शुरू

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जगदलपुर। बस्तर के आदिवासी इलाकों को रायपुर से सीधे जोडऩे वाली 140 किलोमीटर लंबी रेललाइन जगदलपुर-रावघाट परियोजना अब धरातल पर उतरने को तैयार है। इसके लिए कंपनी ने सीमांकन का कार्य भी शुरू कर दिया है। इस पूरी कार्रवाई में सबसे अच्छी बात यह है कि इस बार काम की शुरूआत बस्तर की तरफ से हुई है। पल्ली, कुड़$कानार, करकापाल और बालेंगा जैसे इलाके में काम ने गति पकड़ लिया है। इस इलाके में सीमांकन के निशान जगह-जगह देखे जा सकते हैं। इससे बस्तरवासियों में खुशी का माहौल तो है, ही साथ ही अब इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद भी बढ़ गई है।
मिली जानकारी के अनुसार मई 2025 में रेलवे बोर्ड से 3,513 करोड़ रुपये की मंजूरी मिलने के बाद स्थल सीमांकन कार्य तेजी से शुरू हो गया है, जो न केवल खनिज परिवहन का द्वार खोलेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास की नई इबारत लिखेगा। वन क्षेत्रों में चिन्हांकन कर रही दो अधिकृत कंपनियां मार्च 2026 तक काम पूरा करने के लक्ष्य पर हैं, ताकि मानसून से पहले निर्माण की शुरू हो सके। लेकिन यह शुरुआत पुरानी देरी का आईना भी है जब बीआरपीएल जैसी कंपनी के धोखे ने परियोजना को ठप कर दिया था। अब केंद्र-राज्य की संयुक्त कमेटी के तहत नई गति पकड़ते हुए, बस्तर माओवादी हिंसा से मुक्ति के 2026 लक्ष्य के साथ रेल नेटवर्क में जुडने की दहलीज पर है।
बस्तर सांसद महेश कश्यप ने कहा कि एक माह पूर्व मैंने रेल अधिकारियों की बैठक ली थी, बैठक में उन्होंने रेलमार्ग और वन भूमि के सीमांकन की प्रगति बताई थी, और फॉरेस्ट क्लीयरेंस का प्रस्ताव जल्द केंद्र को भेजने की बात कही है। उन्होने कहा कि वर्ष 2029-30 तक बस्तर से रायपुर तक रेलमार्ग तैयार हो जाएगा।
रायपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम अवधेश कुमार त्रिवेदी ने बताया कि रावघाट-जगदलपुर रेललाइन के लिए स्थल सीमांकन और वन सर्वेक्षण का कार्य तेजी से चल रहा है। अगले वर्ष मध्य तक दो-तीन स्थानों से एक साथ निर्माण शुरू होगा, ताकि समय सीमा का पालन हो।

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