हादसों ने रोकी थी जीवन की रफ्तार: पुनर्वास केन्द्र से दिव्यांगों को मिली अब नई उम्मीद
रायपुर। हादसों से रूक गई दिव्यांगों के जीवन की रफ्तार को रायपुर का अत्याधुनिक पुनर्वास केन्द्र (फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेन्टर) फिर से गति देने का काम कर रहा है। मंगलवार को यहां धमतरी जिले से आए 8 दिव्यांगों को कृत्रिम पैर लगाए गए। अब ये दिव्यांग खुद से चल सकेंगे। समाज कल्याण विभाग के संचालक श्री रमेश शर्मा ने सभी दिव्यांगों से मिलकर उनका हालचाल जाना और उन्हें भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। उल्लेखनीय है कि 6 अप्रैल को धमतरी में समाज कल्याण विभाग द्वारा कृत्रिम हाथ पैर मापन शिविर का आयोजन किया गया था। शिविर में धमतरी सहित पड़ोसी जिले कांकेर सहित दूरस्थ क्षेत्रों के दिव्यांगजन शामिल हुए थे। यहां पुनर्वास केन्द्र के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने दिव्यांगों के कटे व विकृत हाथ पैरों का मापन किया। इन दिव्यांगों के लिए पुनर्वास केन्द्र में आवश्यकतानुसार निःशुल्क कृत्रिम अंग तैयार किए गए। इनमें से 8 दिव्यांगों को रायपुर में निःशुल्क कृत्रिम पैर लगाए गए। सभी दिव्यांग गरीबी रेखा से नीचे श्रेणी के होने के कारण महंगे अंग लगाने में असमर्थ थे। इनमें से किसी दिव्यांग का हादसे के कारण पैर काटना पड़ा था, तो किसी ने छत से गिरने के कारण अपने पैर गंवा दिए। एक लकवे के कारण चलने में असमर्थ था। कृत्रिम अंग लग जाने से अब ये दिव्यांग रोजी-रोटी कमाने के साथ अपना दैनिक कार्य भी सुविधाजनक तरीके से कर सकेंगे। शिविर में चिन्हांकित 8 अन्य दिव्यांगों के लिए भी कृत्रिम अंग पुनर्वास केन्द्र में तैयार किए गए हैं। जिन्हें दिव्यांगों को उपलब्ध कराया जाएगा। पुनर्वास केन्द्र में दिव्यांगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग बनाकर देने के साथ उन्हें अंग संचालन और संतुलन की ट्रेनिंग भी दी जाती है। पुनर्वास केन्द्र में छत्तीसगढ़ के साथ ही आसपास के प्रदेशों से भी लोग कृत्रिम अंग बनवाने आने लगे हैं। यहां सेरिब्रल पाल्सी (प्रमस्तिष्क घात) से पीड़ित ऐसे मरीजों जिनके चलने-फिरने में संतुलन की कमी होती है, उन्हें निःशुल्क व्हील चेयर और सिटिंग चेयर तैयार करके दी जाती है, जिससे मरीज को खाना-खाने, पढ़ने, बैठने में आसानी हो सके। इसके साथ ही ऐसे मरीजों की सुविधा के लिए फिजियोथैरेपी के विशेष उपकरण भी उपलब्ध है, जिनके जरिए मरीजों का एक्सरसाईज के जरिए उपचार किया जाता है। इसके अलावा यहां कृत्रिम हाथ-पैर, कैलिपर्स और सहायक उपकरण भी मरीजों की जरूरत के हिसाब से बनाकर दिए जाते हैं। अब तक इस केन्द्र के माध्यम से 3 हजार 740 मरीजों को 5 हजार 258 कृत्रिम अंगों और सहायक उपकरणों से लाभान्वित किया जा चुका है।