राजिम जिला के लिए मुख्यमंत्री का हो रहा इंतजार

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। राजिम जिला की मांग अब आम जनता की आवाज बन चुकी है। हर घर से एक ही आवाज राजिम जिला बने सुनाई दे रही है। बेसब्री से इंतजार हो रहा है कि आखिरकार कब राजिम जिला बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री करेंगे। उल्लेखनीय है कि 19 नवंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शहर आने का इंतजार हो रहा था। परंतु ऐन वक्त पर उनके कार्यक्रम के कैंसिल होने की जानकारी मिल गई जिसके कारण क्षेत्र के लाखों लोगों को निराशा हाथ लगी। राजिम जिला की मांग वर्षों पुरानी है अविभाजित मध्यप्रदेश के समय तेजी के साथ राजिम को जिला बनाने की मांग चल रही थी। जानकारी के आधार पर खुद संत कवि पवन दीवान भोपाल में यह बात रख चुके थे उसके बाद राजधानी रायपुर बनने के साथ ही प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पास राजिम नवापारा आगमन पर पुनः दोहराई गई। उसके बाद जोगी जी ने कहा कि जब भी जिले का पुनर्गठन होगा उसमें राजिम नवापारा का नाम सर्वोपरि होगा। तब से लेकर प्रदेश में जिलों की संख्या बढ़ती गई और 16 से 33 जिला हो गई है। जानकारी के मुताबिक तीन जिला और अस्तित्व में आएगा। जैसा नाम वैसा जिला भी होगा। प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ और जिला भी छत्तीस ही होना है। वह भाग्यशाली शहर कौन-कौन से हैं जिसे जिला बनना है समय की गर्त पर छिपी हुई है। राजिम जिला बनने के लिए छटपटा रही है। इस बात पर सोशल मीडिया पर जमकर कमेंट्स हुईं जिसमें यह बात निकलकर बाहर आया कि राजिम शहर अत्यंत प्राचीन है। इन्हें तीसरी शताब्दी का बताया जाता है। सीताबाड़ी में हुई खुदाई से सारे तथ्य उभरकर सामने आए हैं। यहां के मंदिरों का निर्माण छठवीं से लेकर चौदहवीं शताब्दी तक के बताया जाता है। प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का प्रमुख तीर्थ स्थल है। तीन नदियों का संगम त्रिवेणी संगम कहलाती है। स्नान दान अस्थि विसर्जन जैसे कृत्य यहां किए जाते हैं। दुनिया का अनोखा भगवान विष्णु का विशाल मंदिर राजीवलोचन के रूप में जाना जाता है। संगम के मध्य में स्थित पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव का ज्योतिर्लिंग विरले हैं। कमल क्षेत्र की आराध्य देवी मां महामाया को माना गया है। इन मंदिर में उत्कीर्ण कला नक्काशी देखते ही बनती है। प्रदेश का सबसे बड़ा मेला 15 दिनों के लिए राजिम में लगता है। जिसमें लाखों लोग उपस्थित होकर पुण्य स्नान करते हैं। राजिम से पांच पांच कोस की दूरी पर पंचकोशी यात्रा सदियों से प्रचलित है। पश्चिम दिशा में पटेवा स्थित पटेश्वरनाथ महादेव, उत्तर में चंपारण स्थित चंपकेश्वरनाथ महादेव, उत्तर पूर्व में बम्हनी स्थित ब्रह्मकेश्वरनाथ महादेव, पूर्व में फिंगेश्वर स्थित फणीकेश्वर नाथ महादेव और दक्षिण दिशा में कोपरा स्थित कर्पूरेश्वर नाथ महादेव विराजमान है। यहां से संस्कृति को पंख लगती है। सामाजिक एकता का सूत्रपात होता है। लगभग सभी समाजों की महासभा बैठकें होती रहती है। राजनीति के साथ ही आर्थिक रूप से अत्यंत समृद्ध है। यहां लेनदेन के लिए सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी तक के लोग भी पहुंचते हैं। सभी दृष्टिकोण से इनका अपना अलग महत्व है परंतु जिला मुख्यालय नहीं होने से अनेक अड़चन यहां के लोगों को भोगना पड़ता है। यदि जिला बन जाए तो स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार तथा स्वावलंबी का इतिहास लिखा जाएगा। तीर्थ नगरी राजिम के अलावा पांडुका स्थित लोथल संस्कृति का प्राचीन बंदरगाह देखने को मिलता है। जतमई, घटारानी,रमई पाठ जैसे पहाड़ों पर स्थित अनेक प्रसिद्ध देवी स्थल पर्यटक एवं श्रद्धालुओं को अपनी और आकर्षित करती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट मुलाकात कार्यक्रम महीने के अंतिम अर्थात 28 नवंबर या फिर दिसंबर के प्रथम सप्ताह में बन सकता है। वैसे बता दे कि स्थानीय लोग इस बार राजिम मांघी पुन्नी मेला2023 राजिम जिला के अंतर्गत आयोजन करने की मंशा रख रहे है। यदि यहां जिला प्रशासन के अधिकारी मुख्यालय बनाकर बैठेंगे तब मेला की स्थाई काम में प्रगति आएगी। जिला मुख्यालय गरियाबंद होने के कारण काम में तेजी नहीं दिख रही है।

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