नवरात्र पर्व में जल रही 27 मनोकामना ज्योति कलश,जोड़ा नारियल चढ़ाने से सत्ती माता होती है प्रसन्न
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । शहर के दक्षिण दिशा में चौबेबांधा मार्ग पर देवी सत्ती माता का मंदिर स्थापित है। ईट से बने छोटे से मंदिर में माता का पाषाण विग्रह तकरीबन डेढ़ फीट ऊंची है। आज से 25 साल पहले जय स्थल बिल्कुल निर्जन था। ईट से छोटा सा मंदिर बना हुआ था जिसमें लोग कभी कभार आकर दीया जला लेते थे। खास बात यह थी कि उस समय नवरात्र पर्व में ज्योति कलश प्रज्वलित नहीं किए जाते थे और न ही कहीं कोई सेवा गीत होता था परंतु 16 साल पहले थाना पारा के कुछ नवयुवकों का ध्यान गया और उन्होंने इस स्थल को समृद्ध करने की ठान ली। एक समिति का निर्माण किया गया तथा सबसे पहले एक ही ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए पश्चात संख्या बढ़ती गई और आज 27 मनोकामना ज्योति कलश प्रचलित किए गए हैं। इसके लिए एक समिति का गठन भी किया गया है जिसमें समीर तिवारी, करण धीवर, मनवा धीवर, दशरथ सोनकर, धेनु धीवर, संतराम सोनकर, भागवत धीवर, लोचन सोनकर, संजय धीवर आदि सदस्यगण है। यहां पेड़ के छांव के नीचे सुकून सा मिलता है। छोटे मंदिर के ऊपर दीवाल खड़ी करके आकार को बड़ा करने का प्रयास किया गया है साथ ही ज्योति कक्ष का निर्माण भी किया गया है मंदिर के दाएं ओर हनुमान जी प्रतिष्ठित है सुबह-शाम दो बार पूजन आरती होती है तथा घंटियों की झंकार से हमेशा यहां भक्तिमय माहौल बना रहता है। इस मार्ग से आने जाने वाले लोग अक्सर माता के दरबार के पास आकर अपने आप को निश्चल पाते हैं। समिति के सदस्यों ने बताया कि भविष्य में इस स्थल को और समृद्धि किया जाएगा। सत्ती माता के मंदिर के नाम से ही इस तालाब का नाम सत्ती तालाब पड़ा है। बताया गया कि अब तो इस मोहल्ले का नाम भी सत्तीनगर रखा गया है। वहां उपस्थित श्रद्धालुओं ने बताया कि सत्ती ग्रामीण देवी है। इनके आगे शीश झुकाने से देवी मां हरेक भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती है खासकर यहां जोड़ा नारियल चढ़ाने की परंपरा चल पड़ी है इससे मां शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों के ऊपर कृपा बरसाते हैं। उल्लेखनीय है कि राजिम धर्म नगरी है। इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है देशभर में मात्र दो ही प्रयाग का उल्लेख मिलता है जिनमें पहला प्रयाग उत्तर प्रदेश में तथा दूसरा छत्तीसगढ़ को माना गया है। यहां प्राचीन कालीन अनेक देवी देवताओं के मंदिर है जिनमें प्रमुख रूप से प्रसिद्ध भगवान विष्णु का राजीवलोचन मंदिर, आशुतोष महादेव का पंचमुखी कुलेश्वर नाथ मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, वराह अवतार, वामन अवतार, नृसिंह अवतार, बद्रीनारायण, जगन्नाथ मंदिर, सूर्य देव मंदिर, दान दानेश्वर नाथ महादेव मंदिर, राज राजेश्वर नाथ महादेव मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर, पंचेश्वर नाथ मामा भाचा मंदिर, बाबा गरीब नाथ मंदिर, सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर, रामचंद्र देवल मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर के अलावा देवी मंदिरों में प्रसिद्ध कमलक्षेत्र की आराध्य देवी मां महामाया मंदिर, चंडी मंदिर, सीतला मंदिर, दुर्गा मंदिर, दंतेश्वरी माता, मावली माता,तुलजा भवानी मंदिर, सत्ती मंदिर आदि है।