बेलाही पुल में जलीय पौधा बहने के बजाय ठहर गया जिससे खतरा का अंदेशा
राजिम । रायपुर जिला एवं धमतरी जिला को जोड़ने वाली महानदी पर बने शहर के बेलाही घाट पुल में गत दिनों आई बाढ़ के साथ ही जलीय पौधा बड़ी मात्रा में उखड़कर नदी में आ गए हैं जो पुल के स्तंभ में फंसकर रुक गया है। इनकी लंबाई चौड़ाई इतनी ज्यादा है कि यदि इसे बाहर निकाला भी जाए तो कम से कम 50 ट्रैक्टर निकलेगा। यहां घास फूस एवं जलीय पौधा की परत इतनी मोटी हो गई है कि इस पर से आदमी चल भी सकता है मंगलवार को आई बाढ़ के बाद बुधवार की सुबह कुछ लोग रस्सी बांधकर मछली पकड़ने के लिए नीचे जान को जोखिम में डालकर उतरे हुए थे बाद में इन्हें रस्सी के सहारे ऊपर पुल में खींच लिया गया। आधा किलोमीटर लंबी पुल में और से लेकर छोर तक यह फैला हुआ है। पुल बनने के बाद पिछले 15 साल में पहली बार इस तरह का दृश्य निर्मित हुआ है इसमें जंगली सर्प बिच्छू सहित जहरीले जीव जंतु के होने का अंदेशा भी लगाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नदी में रेट गायब सी हो गई है सिर्फ घास वाह छोटे छोटे पौधे ही दिखाई देते हैं नतीजा बाढ़ में भी घास फूस का एक स्टोर यहां दिख रहा है इससे नहाने वाले लोग भी डर रहे हैं कि कहीं कोई जहरीले प्राणी उन्हें नुकसान ना पहुंचा दें। ज्ञातव्य हो कि इस उच्चस्तरीय बेलाही पुल के दोनों किनारे लोहे का सुरक्षा घेरा लगा हुआ है लेकिन कुछ शरारती तत्वों ने राड को काट कर ले गए थे जिसके बाद राहगीरों को बड़ी दिक्कत उठानी पड़ रही थी। इस बाबत प्रमुखता के साथ समाचार निकाला गया जिस पर कार्रवाई करते हुए स्थानीय प्रशासन ने लोहे की बैरिकेट्स लगा दिए हैं ताकि किसी को जान माल की नुकसान ना हो। नगर वासियों ने इस लंबे चौड़े वर्गाकार में पहले जलीय पौधे को तोड़कर बढ़ाने की मांग की है क्योंकि अभी नदी में जलस्तर बढ़ा हुआ है यदि ही टुकड़े-टुकड़े कर दिया जाए तो जलधारा के साथ यह बस जाएगी। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसी स्थान पर जड़ पकड़ लेंगे। उसके बाद ही से हटाना मुश्किल होगा। वहीं राहगीरों ने फूल पर लाइट लगाने की मांग की है। रात्रि काल में अंधेरा होने के कारण असामाजिक तत्व बड़ी संख्या में इधर-उधर घूमते रहते हैं आने जाने वाले गांव व शहर के लोगों को परेशान करते हैं यदि पुलिस पेट्रोलिंग बराबर हो तो लोग अपने आप को सुरक्षित पाएंगे।
“संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट”