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Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजना हमारी जिम्मेदारी है-राजेश साहू

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“संतोष सोनकर ​की रिपोर्ट”

राजिम। माघी पुन्नी मेला में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से आये प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी जा रही है। छत्तीसगढ़ी लोककला और संस्कृति को कर्मा, ददरिया, सुवा, पंडवानी और भरथरी के माध्यम से पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य गीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ की महिमा का बखान कर रहे है जिसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल रही हैं। शाम होते ही मुख्य मंच पर सांस्कृतिक आयोजन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं पूरे महोत्सव स्थल में दर्शकों की खचाखच भीड़ जुटी रहती है। एक से बढ़कर एक कार्यक्रम को देख दर्शक भाव विभोर हो झूम उठते है। मुख्य मंच पर द्वितीय दिवस नवापारा-राजिम के लोक प्रयाग कला मंच के कलाकारों ने धूम मचाई। सरस्वती वंदना के माध्यम से छत्तीसगढ़ महतारी और आकर्षक दुर्गा झांकी की बेहतरीन प्रस्तुति दी गई। लोक प्रयाग मंच राजिम के संचालक राजेश साहू ने साक्षात्कार के दौरान बताया कि है लोकमंच की स्थापना 26 नवंबर 2020 में मात्र सात सदस्यों के साथ किया गया था, वर्तमान में हमारी टीम में कुल 35 सदस्य है। इस क्षेत्र में आने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि बचपन से ही नृत्य गीत से जुड़ाव था। कुछ उत्साही युवा मंच बनाने का प्रस्ताव लेकर आये। उस पर विचार कर एक ही शर्त था कि खुद का संगीत हो दूसरे मंच का नकल न हो, तब जाकर यह मंच बना। शुरुवाती समय बहुत संघर्ष भरा रहा, पहले जगह की कमी थी, किराये से लेकर सभी कलाकारों का निरंतर अभ्यास लगन मेहनत और कुछ करने की ललक से आज इस मुकाम तक पहुँचे। उन्होंने बताया कि पहला शो हरिहर स्कूल में खुद मंच तैयार कर किया और प्रस्तुति दिए। शिवरात्रि के समय धमतरी जिले में बहुत बड़े समारोह का निमंत्रण आया। वहाँ कार्यक्रम देने के बाद हमने कभी पीछे मुड़कर नही देखा, लगातार कार्य कर रहे है। अब तक छत्तीसगढ़ के कई स्थानों में लगभग 58 प्रोग्राम दिए है। इसके अलावा अन्य राज्य महाराष्ट्र, दमोह में भी हमने छत्तीसगढ़ की महक बिखेरी है। राजेश साहू ने आगे बताया अन्य मंच और हमारी टीम में कुछ अंतर है। गीत स्व रचित है। राजकीय गीत में विभिन्न राज्य की संस्कृति को दर्शया है, जिसमे प्रमुख है पंथी, पंडवानी, राउत, नाचा प्रमुख है। नये कलाकारों को संदेश देते कहा कि कार्यक्रम ऐसा हो जिसमें किसी जाति, धर्म, संस्कृति आहत न हो। हमारी टीम का उद्देश्य विलुप्त हो रही संस्कृति को एक मंच पर दिखाना है। उन्हें पुनर्जीवित कर स्थापित करना है। माघी पुन्नी मेला में कार्यक्रम देना एक सपना था। इस मंच पर पहली बार आकर हमें बहुत ही सुखद अनुभूति हुई। दर्शकों का भरपूर प्यार और स्नेह मिला। बहुत ही अच्छी व्यवस्था है, सब कार्यक्रम व्यवस्थित है। पहले से बहुत परिवर्तन हुआ है। कलाकारों को प्रोत्साहित करने का कार्य छत्तीसगढ़ शासन कर रही, जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं।

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