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बच्चों का नाम भगवान के नाम पर रखने से मिलता है पुण्य: पंडित भूपेंद्रधर दीवान

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“संतोष सोनकर ​की रिपोर्ट”

राजिम। पाप होते हुए देखने से ही पाप लग जाता है। दृष्टि दोष यदि मन में आए तो दोष माना जाता है। किसी के प्रति भूलकर भी गलत विचार ना लाए सबको बराबर के दृष्टिकोण से देखें। अपमान को भूलकर सम्मान करें। किसी का मजाक ना उड़ाए। बच्चो का नाम भगवान के नाम पर रखने से ईश्वर नाम लेने का पुण्य प्राप्त होता है। नाम उच्चारण होने से मुख पवित्र हो जाता है। हमारे छत्तीसगढ़ में एक बहुत बढ़िया संस्कार है जब लोग सुबह उठते हैं तो जयराम या फिर राम राम कह कर भगवान नाम लेने का फायदा उठा लेते हैं। उक्त बातें शहर के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में महिला मंडली के तत्वाधान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन भगवताचार्य पंडित भूपेंद्रधर दीवान फिंगेश्वर ने कही। उन्होंने अजामिल प्रसंग पर कहा कि ऋषि पराशर के अपमान करने से उन्होंने श्राप दिया और कहा कि अगले जन्म में भी तुम ब्राह्मण के घर पैदा होगे लेकिन तुमसे अनेक पाप कर्म होगा। परिणामस्वरुप वह अजामिल के रूप में धरती लोक में आते हैं अजा का मतलब माया और मिल का अर्थ मिल जाना होता है एक बार अजामिल ने दासी को संसर्ग करते हुए देख लिया जिससे उन्हें दोष लग गया और वह पाप कर्म में लिप्त हो गया। उनके गलत कार्यों को देख कर उन्हें वहां से निकाल दिया और दासी के साथ जंगल में जीवन व्यतीत करने लगा। उनके नौ पुत्र हुए तथा उनकी पत्नी दसवा पुत्र को जन्म देने के लिए गर्भवती हुई। यकायक साधुओं की टोली उनके कुटिया से गुजर ही रहे थे कि उनके घर चले आए और उनसे पूछने लगा तब अजामिल ने बताया कि वह जीवो को मारकर अपने व परिवार का जीवन निर्वाह करता है। उन्होंने पूछा कि तुम क्या चाहते हो तब कहा कि हमारा कल्याण कैसे होगा। साधुओं ने आंख बंद करके देखा तो उनके मुक्ति के सभी द्वार बंद हो गए थे तब ऋषि पराशर ने कहा बेटा अजामिल तुम्हारा दसवां पुत्र जन्म लेगा तो उनका नाम नारायण रखना। जैसे ही वह 81 वर्ष के हुए तो उनके 12 वर्ष पहले अल्पायु मृत्यु होनी थी। अल्पायु मृत्यु को डाला जा सकता है लेकिन महामृत्यु को टाला नहीं जा सकता। अजामिल बीमार पड़ गए। उनको पीड़ा होने लगी। बेटा नारायण करके आवाज देने लगे। दर्द बढ़ा तब बेटा शब्द भूल गए और नारायण नारायण करके चिल्लाने लगे। इधर उनके प्राण भरने के लिए यमराज उपस्थित हो गए लेकिन जैसे ही उनके मुख से नारायण नाम सुने उस समय उनकी जान बचाने के लिए बेटा नारायण तो नहीं आया परंतु लक्ष्मीनारायण भगवान उनके प्राण बचा लिए और 12 वर्ष का समय दे दिया। इन वर्षों में उन्होंने भगवान नाम संकीर्तन आदि धार्मिक कृत्य करते रहे और अंततः नारायण धाम को प्राप्त किया। पंडित दीवान ने आगे कहा कि चिकित्सक और संतो के पास हमेशा सच बोलना चाहिए उन्हें सही सही बता देना चाहिए जिससे वह कल्याण के मार्ग बताते हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम अपने बच्चों का नाम नारायण, राम, कृष्ण, सुभद्रा, सीता, गीता, पार्वती, उमा, अंबिका आदि रखने के बजाय चिंटू मिंटू बंटी बबली इत्यादि रखकर भगवान नाम से दूर हो रहे हैं जिससे हमें दुख एवं परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है यदि हम अपने बच्चे का नाम ईश्वर के नाम पर रखते तो ईश्वर नाम रटने का फायदा जरूर मिलता। इसलिए जन्म लेने वाले हर शिशु का नाम देवी देवताओं के नाम पर जरूर रखिए। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता कान उपस्थित थे जिनमें प्रमुख रूप से गोपाल निषाद बिमला बाई, शेषबाई सोनी, कृष्णा ठाकुर, मीना पांडे, सुमन सोनी, भगवती सोनी, कृतिका निर्मल, मुन्नी देवांगन, गंगाबाई पटेल, पुरईन पटेल, रुकमणी सेन, अंजू निषाद, वीरेंद्र शर्मा, साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर सहित बड़ी संख्या में श्रोता गण उपस्थित थे।

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