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Chhattisgarh

चौबेबांधा राजिम पुरस्वानी पुल में उभरी नुकीली गिट्टी,पैदल राहगीर परेशान दोपहिया हो जाते हैं पंचर

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । शहर से लगा हुआ पैरी नदी में बनाई गई चौबेबांधा राजिम परसवानी पुल की लंबाई करीब 500 मीटर है। परंतु इस दूरी को पार करने में पग पग पर नुकीली गिट्टी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा पैदल यात्री जो बिना चप्पल के ही आवागमन करते हैं उन्हें तकलीफ होती है वह बमुश्किल ही नंगे पांव पुल के उस पार जा पाते हैं। बता देना जरूरी है कि इस पुल को सन् 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह लोकार्पण करते हुए जनता के नाम समर्पित किया था तब से लेकर अनवरत गरियाबंद जिला वासियों को धमतरी जिला जाने में सहूलियत हुई है। पुल का रखरखाव नहीं होने के कारण आए दिन लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसे अविभाजित मध्यप्रदेश में पूर्व सांसद पवन दीवान के प्रयास से नाबार्ड द्वारा राशि स्वीकृत की गई थी। इसका देखरेख धमतरी जिला के पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा होता है। धमतरी जिला के अंतिम छोर तथा इधर गरियाबंद जिला को मिलाने में महत्वपूर्ण योगदान है। त्रिवेणी संगम के साथ ही तीन जिला धमतरी, रायपुर एवं गरियाबंद को टच करती है। तीन पुल भी है जिनमें राजिम सेतु, बेलाही पुल व चौबेबांधा राजिम परसवानी पुल तीनों जिलों को मिलाने का काम करती है। संगम का इसे परिक्रमा पथ भी माना गया है।वहां उपस्थित आसपास के लोगों ने बताया कि पुल पर डामर गिट्टी बिछाने का काम लगभग तीन साल पहले हुआ था। ठेकेदार ने बड़ी गिट्टी बिछाने के बाद बारिक गिट्टी बिछाना ही भूल गए या फिर चिकनी गिट्टी डालना उचित नहीं समझा।शायद उनके पास मटेरियल नहीं रहा होगा और आधे अधूरे छोड़कर ही चले गए। नतीजा प्रतिदिन गुजरने वाले हजारों राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। धीरे-धीरे करके गिट्टी उखड़ गई है और अब सड़क पर नुकीली गिट्टी ही बची हुई है जिससे दो पहिया वाहन भी अक्सर पंचर हो जाते हैं इससे लोगों को मानसिक, आर्थिक एवं समय का नुकसान उठाना पड़ रहा है। आधे अधूरे डामर व गिट्टी बिछाने से मिलीभगत की बू आ रही है। गौरतलब हो कि प्रदेश शासन के द्वारा इसी पुल के पास छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध माघी पुन्नी मेला के लिए 54 एकड़ की जमीन आरक्षित की गई है इस बार सरकार की मंशा यही मेला लगाने की है। प्रतिदिन मॉर्निंग वॉक करने के लिए शहर के अलावा गांव से भी बड़ी संख्या में लोग पुल पर कदमताल करते रहते हैं। इससे उन्हें चलने में भी बड़ी दिक्कत होती है। इस महत्वपूर्ण पुल के रखरखाव नहीं होने के कारण आए दिन दुर्घटनाएं भी हो रही है। वहीं जॉइंट उभरा हुआ है जिसे आज तक नहीं भरा गया। यह भी दुर्घटनाओं के कारण ही बन रहे हैं। लोगों ने शीघ्र चिकनी मिट्टी डालकर पुल की सड़क को मरम्मत करने की मांग प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू, राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, कुरूद विधायक अजय चंद्राकर तथा संबंधित विभाग के शीर्ष अधिकारियों से की है।
शाम होते ही हो जाता है अंधेरा गौरतलब हो कि साल भर में मेला के समय ही 15 दिनों के लिए पुल पर लाइट लगाई जाती है उसके बाद पूरे 11 महीना 15 दिन अंधेरा ही रहता है शाम से लेकर रात में गुजरने वाले लोगों में भय बना रहता है। कहना होगा कि इस मार्ग पर शाम होते ही असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है कई बार लोग छीना झपटी व पॉकेट मार के शिकार भी हो चुके हैं वैसे क्षेत्र के लोगों ने पुलिस प्रशासन से लंबे समय से पेट्रोलिंग की मांग करते आ रहे हैं लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं हुआ है।

शराबियों के लिए बना पीने का अड्डा

वैसे सप्ताह में 7 दिन होते हैं और इनमें किसी किसी दिन ही पुल पर डिस्पोजल, शराब की बोतल या फिर चखना के पैकेट नहीं मिलते होंगे। सुबह इस पुल पर चले जाइए यह दृश्य आपको कहीं न कहीं दिख जाएगा, क्योंकि रात 10:00 बजे तक यह स्वच्छंद पीने का अड्डा बन गया है।

एप्रोच सड़कें जर्जर

फुल को मिलाने वाली एप्रोच सड़क जर्जर हो चुके हैं कई जगह बड़ी-बड़ी गड्ढे दिखाई देते हैं नवागांव के ही बाबा चौक पर तिगड्डा की हालत अत्यंत जर्जर है। इधर राजिम से लेकर फुल पहुंच मार्ग में भी अनेक बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं वर्षों से मरम्मत नहीं होने का यह नतीजा है।

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