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देश पर फिर मंडराया एक और भीषण चक्रवाती तूफान जवाद का खतरा,जाने पूरी खबर

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रायपुर। देश में एक तरफ मानसून की विदाई चल रही है तो दूसरी तरफ एक भीषण चक्रवातीय तूफान की देश में फिर से आहट सुनाई देने लगी है। क्याेंकि बंगाल की खाड़ी में भीषण चक्रवातीय तूफान बनने जा रहा है। वर्ष 2021 में छोटे से समय अंतराल में चार बड़े चक्रवातीय तूफान ताऊ-ते, यास, गुलाब, शाहीन के बाद एक बार फिर एक नए भीषण चक्रवातीय तूफान का खतरा भारत पर मंडराने लगा है। उत्तरी अंडमान के समुद्र (बंगाल की खाड़ी) में 10 अक्टूबर के आसपास लो प्रेशर एरिया के सक्रिय होने का अनुमान है। इसके बाद अगले चार-पांच दिनों में यह लो प्रेशर डिप डिप्रेशन में बदल जाएगा और एक शक्तिशाली भीषण चक्रवातीय तूफान के अंदर तब्दील हो जाएगा। यह दावा राजकीय महाविद्यालय नारनौल के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रमोहन ने किया है। उन्होंने बताया कि इस बार जो (साइक्लोन) चक्रवातीय तूफन बन रहा है उसका नाम (जवाद) होगा। जिसका नामकरण साउदी अरब ने किया है। साउदी अरब में जवाद का मतलब उदार होता है, चक्रवात को कुदरत की देन मानकर इसका नामकरण जवाद किया गया है। इस चक्रवातीय तूफान के दक्षिणी ओडिशा के तटीय क्षेत्रों पर 15 अक्टूबर लैंडफॉल करने की संभावनाएं बन रही है। फिर यह उत्तर पश्चिम की ओर आगे बढ़ेगा। जिसकी वजह से यहां भारी से अति भारी बारिश की भी संभावना बन रही है। चक्रवातीय तूफान का उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र पर प्रभाव तो पड़ेगा ही बल्कि एनसीआर-दिल्ली, हरियाणा व पूर्वी राजस्थान तक असर होने की पूरी संभावनाएं हैं। जो इसके शक्तिशाली होने का सबूत दिखाएंगे। मौसम विभाग के न्यूमेरिकल वेदर प्रिडिक्शन मॉडल के अनुसार जवाद चक्रवातीय तूफान का ट्रेक उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा। जिसकी वजह से बादल पूरे इलाके में डेरा जमा लेंगे और तेज हवा चलने की संभावनाएं बन रही हैं। 17 से 18 अक्टूबर तक हरियाणा एनसीआर, दिल्ली एवं पूर्वी राजस्थान तक मौसम गतिशील एवं परिवर्तनशील रहेगा। कहीं-कहीं हल्की से मध्यम, तेज बारिश की संभावनाएं बन रही हैं। अत्याधुनिक भौगोलिक टूल्स एवं तकनीकों (जियोइनफॉर्मेटिक्स) की ओर से इन सभी आपदाओं और उनसे उत्पन्न जोखिम व खतरों का समय से पहले आकलन और विश्लेषण कर लिया जाता है, जिसकी वजह से आम नागरिक, प्रशासन, व्यापारी, किसान, सेना समय रहते हुए अपना प्रबंधन कर लेते हैं।

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