भूतेश्वरनाथ महादेव मंदिर महामंडप के ऊपरी छोर क्षतिग्रस्त,दीवाल के ईट एक-एक कर निकल रहे हैं और प्रशासन का ध्यान नहीं
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धर्म नगरी प्रयाग भूमि में प्राचीन कालीन 84 मंदिरों की जानकारी मिलती है। बताया जाता है कि यहां के मंदिर छठवीं से लेकर चौदहवीं शताब्दी के मध्य कलचुरी राजाओं के द्वारा बनाए गए हैं। मंदिरों में उत्कीर्ण कला नक्काशी इतिहासकारों कलानुरागियों एवं पर्यटको के मन को मोह लेती है। इतनी सुंदर कलाकृति शायद दुनिया में कहीं नहीं दिखाई देती परंतु ऐसे प्राचीन कालीन मंदिरों की रखरखाव ही ठीक से ना हो तो सीधे प्रदेश के इतिहास को चोट करती है। उल्लेखनीय है कि महोत्सव मुक्ताकाशी मंच के दाहिने ओर विशाल बाबा महाकाल का भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर कलचुरीकालीन है। राजीव लोचन मंदिर के सामने संगम तट से लगा हुआ इस मंदिर की खासियत मंदिर के महामंडप में पांव रखते ही नजर आने लगता है। मंडप छः खंभों में खड़ा हुआ है। उत्कृष्ट मूर्तिकला का नमूना यहां देखने को मिलता है। गर्भगृह में भूतेश्वरनाथ महादेव लिंग रूप में विराजमान है। वैसे इस प्रयाग नगरी में अनेक शिव मंदिर है जिसमें शिवलिंग अर्धनारीश्वर रूप में मौजूद है। उनमें से सबसे बड़े शिवलिंग इस मंदिर में स्थित भूतेश्वर नाथ शिवलिंग को कहा जाता है। इस शिवलिंग की ऊंचाई अन्य शिवलिंग से सबसे बड़ा है। सावन महीने, माघी पुन्नी मेला या अन्य अवसरों पर शिव के भक्त यहां अभिषेक करना नहीं भूलते। बताना होगा कि महामंडप के दीवाल की ऊपरी छोर लगातार क्षतिग्रस्त होते जा रहे हैं। ईट धीरे धीरे एक-एक कर नीचे गिर रहे हैं। यही स्थिति रही तो महामंडप कमजोर हो जाएंगे। इस दिशा में अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है हालांकि गत दिनों मंदिर की पुताई हुई है। चूना से मंदिर को परत चढ़ाकर मेला की तैयारी अभी से कर ली गई है। ऐसा नहीं है कि काम करने वाले मजदूरों ने इन्हें ना देखा हो और यह भी नहीं है कि प्रशासन को जानकारी नहीं हो, क्योंकि पुताई जब हुए तो इन्हें देख कर भी अनदेखा कर दिया गया है। मंदिर के साथ में इस तरह से लापरवाही धरोहर के साथ खिलवाड़ है। इस प्राचीनकालीन मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। प्रतिदिन मंदिर पहुंचने वाले लोग भूतेश्वरनाथ महादेव के शिवलिंग में जल डालकर अभिषेक करना नहीं भूलते हैं। ज्ञातव्य हो कि गत 2 साल पहले भूतेश्वरनाथ महादेव मंदिर का ही घंटाकुप का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था जिन्हें सुधारा गया। यह पश्चिम दिशा की ओर था जो रिपेयरिंग के बाद ठीक है परंतु इस बार महामंडप के दक्षिण दिशा क्षतिग्रस्त हो रहे हैं जिस पर अधिकारियों समेत सरकार का ध्यान आकृष्ट करना अत्यंत जरूरी हो जाता है। धर्म नगरी के इन प्राचीन मंदिरों की जर्जर हालत श्रद्धालुओं को चिंता में डाल दिया है। आने वाले 5 फरवरी राजिम माघी पुन्नी मेला है जिसमें प्रमुख रूप से महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष समेत तमाम मंत्री एवं सांसद विधायक पहुंचेंगे। मंच से सीधे मंदिर का दर्शन करेंगे। श्रद्धालुओं ने सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक तथा पर्यटन विभाग जिम्मेदार अफसरों से मंदिर की रखरखाव करते हुए क्षतिग्रस्त हिस्सा को शीघ्र सुधारने की मांग की है।