फिर ग्रामीणों का जत्था पहुंचा एसपी दफ्तर हुरनतराई मुठभेड़ में दो युवकों ने किया नया खुलासा
“नरेश भीमगज की रिपोर्ट”
कांकेर। कोयलीबेड़ा के हुरनतराई पुलिस नक्सली मुठभेड में तीन नक्सलियों के मारे जाने के बाद मृतक के परिजन व ग्रामीण लगातार मुठभेड को फर्जी बताते हुए विरोध कर रहे हैं। बुधवार को एक बार फिर मृत नक्सलियों के परिजन ग्रामीणों के साथ गुहार लगाने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे व ग्रामीणों के साथ पहुंचे दो युवकों ने इस पूरे घटनाक्रम को ले नया खुलासा किया है। उनका कहना है कि जिस दिन हुरनतराई में यह घटना हुई। दोनों युवक भी घटना स्थल में मौजूद थे एक युवक ने कहा कि सभी तेंदूपत्ता बांधने के लिए जंगल में रस्सी लेने गये थे। सुबह खाना बनाने के दौरान गोलीबारी की आवाज सुनकर दोनों भागकर अपनी जान बचायी। जिस युवक को पुलिस गोली लगने का दावा कर रही है, वह भी परिजनों व ग्रामीणों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा था उसने कहा कि पुलिस उसे भी नक्सली बताकर मार सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि हम आदिवासी हैं। जंगल के बिना हमारा गुजारा नहीं होता। जंगल जाने पर पुलिस नक्सली बताकर गोली मार देती है। बता दें कि 25 फरवरी को कोयलीबेडा के हुरनतराई में पुलिस द्वारा मुठभेड के बाद तीन नक्सलियों को मार गिराने की पुष्टि की है तीनों के शव भी बरामद किये गये। दूसरे दिन मृत नक्सलियों के परिजन व ग्रामीण शव लेने पहुंचे तो उन्होंने इस मुठभेड को फर्जी बताते हुए मृतकों के नक्सली होने से भी इंकार किया था। बुधवार को ग्रामीणों के साथ पहुंचे अंतागढ़ ब्लाक के पेवारी निवासी मुकेश सलाम व मरदा के सुबर सिंह आंचला भी पहुंचे थे। मुकेश सलाम ने बताया कि तीनों मृतकों के साथ वह स्वयं व सुबर भी जंगल में रस्सी लेने गये थे। ग्रामीणों ने बताया कि जिस पेड़ की छाल को वे रस्सी के रूप में उपयोग करते हैं। उसके लिए 10 से 15 किमी दूर जंगल में जाना पड़ता है। ग्रामीण दो तीन दिन जंगल में ही रूकते हैं। अपना राशन कपड़े आदि आदि लेकर घने जंगल में जाना पड़ता है। मुकेश सलाम ने बताया तीनों मृतकों के साथ कुल पांच लोग जंगल गये थे। 25 फरवरी की सुबह खाना बना रहे थे इसी दौरान अचानक फायरिंग होने के बाद मुकेश सलाम और सुबर सिंह वहां से भागकर अपनी जान बचायी। उन्हें घटना के दूसरे दिन पता चला कि जंगल में तीन लोगों की गोली लगने से मौत हो गयी।