त्रिवेणी संगम उफान पर, सभी ओर पानी ही पानी

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राजिम । पिछले चार दिनों से हो रही लगातार बारिश ने बाढ़ का रूप धारण कर लिया है। सिकासेर जलाशय के 17 गेट खोल दिए गए हैं। जिनमें से 20,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की जानकारी मिली है। इधर शहर में बाढ़ का नजारा देखने के लिए लोगों की भीड़ राजिम पुल, बेलाही पुल एवं चौबेबांधा पुल में एकतरफा बढ़ गई। इनके अलावा वीआईपी मार्ग पर महोत्सव मंच से लेकर पवन दीवान आश्रम तक लगी रही। जिसे समय-समय पर आकर पुलिस बल सावधानी बरतने के लिए कहते रहे। समाचार लिखे जाने तक सोंढूर, पैरी एवं महानदी लबालब हो गया था। इनमें पैरी व सोंढूर नदी की धार तेजी के साथ बढ़ रही थी। जिससे प्रसिद्ध पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर का 17 फुट ऊंची चबूतरा में मात्र 1 फीट ही डूबने से बचा हुआ था। उल्लेखनीय है कि इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में किया गया है। नदी में चल रही तेज बाढ़ की धार से दृश्य मनोरम हो गया था वहां उपस्थित लोगों ने अपने मोबाइल कैमरा से फोटो लेते रहे तथा सेल्फी के साथ यादगार बनाने का हर संभव प्रयास किया जाता रहा। यहां निर्मित लक्ष्मण झूला के साथ ही मंदिर पर विशाल पीपल का वृक्ष देखते ही बन रही थी। नगर में चाहू और पानी ही पानी दिख रहा था मेला ग्राउंड का आधा हिस्सा पानी से भर गया है तो छुरा जाने वाले मार्ग पर व्यवहार न्यायालय के पास सड़क पर पानी भर गया था। पथर्रा नाला पर सड़क के ऊपर से तेज धार चल रही थी। इधर चौबेबांधा मार्ग पर सड़क के ऊपर से पानी चल रहा था। जिसके कारण स्कूली बच्चे कम संख्या में स्कूल पहुंचे तथा स्कूल के शिक्षकों ने लगातार हो रही बारिश के कारण बच्चों को जल्दी छुट्टी दे दिए। चौबेबांधा पुल के पास नदी में विहंगम दृश्य देखने को मिला। यहां से पुल पर बड़ी संख्या में लोग बाढ़ का लुफ्त उठाने के लिए सुबह से एकत्रित हो गए थे जो शाम तक लोगों की भीड़ जमती रही। नदी में लकड़ियां भी बहकर आती रही। लट्ठो को पकड़ने के लिए तैराक जान जोखिम में डालकर पुल से छलांग लगाकर नदी में कूद गए। यह क्रम लगातार चलता रहा और लोग लकड़ियां इकट्ठा करते रहे कुछ लोग बांस की लकड़ी से लकड़ियां इकट्ठा करने के लिए किनारे में खड़े हो गए और खींच कर अपनी ओर ले आए। ताकि इंधन के रूप में उनका उपयोग करें। बता देना जरूरी है कि बाढ़ के साथ में जंगली सर्प बिच्छू भी बड़ी संख्या में आते हैं। इसलिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी हो जाता है। कुछ लोग सड़क किनारे खड़े होकर पानी की धार पर ही मछली पकड़ कर अपने सब्जी का इंतजाम करते रहे। शाम तक जान मान की कोई नुकसान की खबर नहीं मिली है।

“संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट”

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