कका कब दीही राजिम जिला के सौगात लोगों को राजिम जिला का बेसब्री से इंतजार
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभावार दौरा कार्यक्रम निरंतर जारी है। राजिम विधानसभा क्षेत्र के लोगों को उनके आने का बेसब्री से इंतजार है लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं कोई कह रहा है कि भूपेश बघेल विधानसभा के किसी भी गांव में आएंगे तो आते ही सबसे पहले जनता की बहुप्रतीक्षित मांग राजिम को जिला बनाने की घोषणा करेंगे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पूरा मध्यप्रदेश मामा शब्द से संबोधित करते हैं और मुख्यमंत्री प्रसन्न हो जाते हैं। ठीक इसी भांति छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल को कका कहने का प्रचलन बढ़ गया है। लोग कह रहे हैं कि कका के रहते किसी को कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। भूपेश है तो भरोसा है। वह आते ही राजिम को जिला की सौगात देंगे। जितनी मुंह उतनी बात हो रही है। शहर के अलावा गांव में भी राजिम को जिला बनाने की माहौल गर्म है। उल्लेखनीय है कि त्रिवेणी संगम के दोनों किनारे राजिम और गोबरा नवापारा दो शहर है। बताया जाता है कि प्राचीन नगरी राजिम का अस्तित्व ईशा पूर्वी दूसरी तीसरी शताब्दी मौर्यकाल से माना गया है। प्रसिद्ध पुरातत्वविद पद्मश्री डॉ अरुण कुमार शर्मा के द्वारा राजीवलोचन मंदिर से 200 गज की दूरी पर स्थित सीताबाड़ी में उत्खनन से यह साक्ष्य उपलब्ध होने की जानकारी मिलती है। यहां अनेक प्राचीन कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। दूसरी ओर किवदंती का सहारा ले तो सतयुग में राजा रत्नाकर हुए जिन्होंने यज्ञ करवाएं उससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हो स्वयं राजीवलोचन के रूप में यहां रहने की बात कही, तब से लेकर आज तक भगवान राजीवलोचन कमल क्षेत्र में ही विराजमान हैं। अर्थात चारों युगों से राजिम का अपना अलग स्थान है। इस दरमियां इनका नाम भी बदला है पहले इन्हें कमलक्षेत्र कहा जाता था। पश्चात पद्मा क्षेत्र, राजीव क्षेत्र, पंचकोशी क्षेत्र, देवपुरी, छोटा काशी, प्रयागराज आदि समय के साथ साथ इनका नाम बदलता गया और आज इन्हें राजिम नाम से संबोधित किया जाता है। त्रेता युग में भगवान रामचंद्र के चरण कमल यहां पड़े थे। डॉ. मन्नु लाल यदु के शोध ग्रंथ के मुताबिक चौमासा राम, लक्ष्मण एवं सीता ने राजिम के लोमस ऋषि आश्रम में व्यतीत किया था। इतनी प्राचीन नगरी होने के बाद भी राजिम जिला आज तक जिला नहीं बन पाया है। अविभाजित मध्यप्रदेश से जिला की मांग हो रही है। सन् 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना और 22 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं इन्हें तो मध्यप्रदेश के समय से ही जिला बन जाना चाहिए था। क्योंकि राजिम विधानसभा ने अविभाजित मध्यप्रदेश को तीन बार मुख्यमंत्री दिए हैं। छत्तीसगढ़ में प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री राजिम से ही बना है बावजूद इसके ढेरों विधायक एवं सांसद इसी क्षेत्र से चुनकर राजधानी रायपुर,भोपाल, दिल्ली गए हैं। क्षेत्र के लोग चर्चा करते हैं कि इन जनप्रतिनिधियों को अभी तक राजिम को जिला बनाने की आवश्यकता क्यों महसूस नहीं हुई। जबकि यहां की जनता लगातार जिला की मांग कर रहे हैं। क्षेत्र की जनता ने भूपेश बघेल के ऊपर भरोसा किया है। राजिम ने ज्यादातर कांग्रेसी जनप्रतिनिधि को चुना है। कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले राजिम जिला बनने के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं।
नगर पंचायत ने 29 अप्रैल 2022 को राजिम को जिला बनाने का प्रस्ताव पास कर नगरीय प्रशासन मंत्रालय को भेज दिया है। इस दिशा में नगर पालिका परिषद नवापारा अभी तक प्रस्ताव बनाकर प्रेषित नहीं किया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है वैसे दोनों शहर एक दूसरे से लगा हुआ है दोनों तहसील मुख्यालय हैं। दोनों व्यापारिक नगरी है। दोनों जगह कृषि उपज मंडी, सब्जी मंडी समेत अनेक व्यापारिक प्रतिष्ठान, कल कारखाने, राइस मिल, ढेरों स्कूल कॉलेज इत्यादि है। कुछ साल पहले राजिम को अनुविभागीय मुख्यालय भी बना दिया गया है। दोनों शहर एक दूसरे से लगा हुआ है। राजिम गरियाबंद जिला में है तो नवापारा रायपुर जिला में है। जिसके कारण विकास को गति नहीं मिल पा रही है दोनों को एक साथ मिलाकर एक जिला का दर्जा मिलने से विकास को गति मिलेगी।
बताया जाता है कि हिंदुस्तान में जितने बड़े तीर्थ स्थल है सभी जिला मुख्यालय के रूप में तब्दील हो चुके हैं परंतु राजिम अभी तक जिला नहीं बन पाया है। राजिम देश का प्रमुख तीर्थ स्थल है। इसे हरि और हर की भूमि कहा जाता है। भगवान विष्णु का प्रसिद्ध राजीवलोचन मंदिर, आशुतोष महादेव का संगम के बीच में प्रसिद्ध कुलेश्वर नाथ महादेव का मंदिर समेत प्राचीन कालीन 84 मंदिरों की जानकारी मिलती है। सोंढूर, पैरी एवं महानदी का त्रिवेणी संगम है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुगण अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए अस्थि विसर्जन, स्नान, दान आदि के लिए बारहो महीना आते हैं। राजिम माघी पुन्नी मेला कभी राजिम कुंभ के नाम से तो कभी राजीवलोचन महोत्सव के नाम से पूरे हिंदुस्तान में प्रसिद्ध हुआ है। इस नगरी की अनेक खुबियां है। जिला बनने से ना सिर्फ क्षेत्र का विकास होगा बल्कि पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी राजिम का सम्मान भी बढ़ेगा।