आदिशक्ति मां महामाया में 1091 प्राचीन मंदिर शीतला में 93 ज्योति कलश प्रचलित
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। कमल क्षेत्र के आराध्य देवी आदिशक्ति मां महामाया के दरबार में इस बार ज्योति कलश की संख्या बढ़ गई है भक्तों ने बढ़ चढ़कर मनोकामना ज्योति प्रज्वलित किए हैं। शारदीय नवरात्र में इस बार 1091 ज्योति कलश मां महामाया मंदिर में तथा प्राचीन शीतला मंदिर में 93 ज्योति कलश जलाए गए हैं। भक्तों के आने जाने के लिए किसी प्रकार की सुविधा ना हो इसलिए पार्किंग स्थल थोड़ी दूर में रखी गई है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार से दिक्कत ना हो। मां महामाया मंदिर मैं पूरे नवरात्र तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते जाते हैं तथा दर्शन करने के लिए भीड़ बनी रहती है यहां दर्शनार्थ ना सिर्फ गरियाबंद जिला बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ व अन्य प्रांतों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण दर्शन लाभ लेने उपस्थित होते हैं। मां महामाया शीतला प्रबंध समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न धीवर, सचिव बाल्मीकि धीवर ने बताया कि कोरोना काल के कारण पिछले 2 वर्षों से ज्योति कलश की संख्या कम हो गई थी पिछले नवरात्र में करीबन 800 की संख्या में ज्योति प्रज्वलित हुए थे परंतु इस बार 300 ज्योति कलश की बढ़ोतरी हुई है। यह श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मां महामाया अपने भक्तों के ऊपर जरूर कृपा बरसाती है। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार से दिक्कत ना हो इसलिए व्यवस्था में समिति के सदस्यगण लगे हुए हैं जिनमें प्रमुख रूप से संरक्षक राघोबा महाडिक, जितेंद्र सोनकर, फगुवा निषाद, लीलेश्वर यदु, अशोक श्रीवास्तव, अशोक शर्मा, नारायण धीवर, महेश यादव, लाला साहू, कमल सिन्हा, पवन सोनी, अरविंद यदु, राकेश गुप्ता, जीतू सोनी, रामकुमार साहू, भवानी शंकर साहू, भोले साहू, जेठू साहू, रमेश साहू प्रमुख रूप से है।प्राकृतिक है मां महामाया की प्रतिमाबताया जाता है कि मां महामाया की प्रतिमा प्राकृतिक है इन्हें किसी मूर्तिकार ने गढ़ा नहीं है। बल्कि यह प्रकट हुई है। प्राचीन काल में यह स्थल वीरान जंगल था। अचानक किसी भक्तों को यह मूर्ति दिखाई दी उस समय प्रतिमा विकराल रूपणीं थी जिसे आम मनुष्य देख नहीं पाते थे वह डर जाते थे। समय के साथ साथ इनके स्वरूप को ऋषि मुनियों की सलाह से मनमोहनी आकार दिया गया। तब से माता पूर्वाभिमुख से पश्चिमामिमुख हो गई। मां महामाया से ही लगा हुआ काली माता की मूर्ति भी प्राकृतिक है। परिक्रमा पथ पर मां मावली एवं दंतेश्वरी दाई स्थापित है। सामने भैरव बाबा बैठे हुए हैं। इनके साथ ही बजरंगबली भी विराजमान हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर देवी चंडी की मूर्ति पुरानी हटरी में स्थापित है। चौबेबांधा मार्ग पर सत्ती माता, आमापारा में ब्रह्मचारिणी दरबार, त्रिवेणी संगम में कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के द्वितीय गर्भगृह में देवी दुर्गा स्थापित है जहां मनोकामना ज्योति कलश प्रचलित किए गए हैं।