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चौबेबांधा के 90 साल का वृद्ध बिसन पटेल बना स्वच्छता का पर्याय ,प्रतिदिन सुबह उठकर करते हैं गलियों की सफाई

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”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम।
शहर से लगा हुआ गांव चौबेबांधा के 90 वर्षीय वृद्ध बिसन पटेल इन दिनों स्वच्छता का पर्याय बन गया है। वह प्रतिदिन सुबह 5:00 से ही सफाई अभियान शुरू कर देते हैं। पिछले कई सालों से गांव की गलियों की सफाई करना उनकी दिनचर्या बन चुकी है। उम्र बढ़ती जा रही है और सफाई का जुनून चढ़ता जा रहा है। यहां तक कि कूड़ा करकट को देखते हुए नाली में भी घुस जाते हैं और उन्हें एक जगह इकट्ठा करते हैं अपने साथ में वह बोरा रखे रहते हैं उसमें गंदगी फैलाने वाले सामग्री को एकत्रित करते हैं तथा ले जाकर कहीं अन्यत्र जगह फेंक आते हैं। सुबह-सुबह अधिकतर सड़क के किनारे, स्कूल के सामने, पंचायत भवन के आसपास या फिर मंदिरों के अलावा गलियों में भी वह सफाई करते हुए दिख जाते हैं। बताना होगा कि वर्तमान में अंचल में ठंड पड़ रही है लेकिन इस उम्र में बिना परवाह किए हुए कमर के नीचे लूंगी पहने हुए तथा ऊपर बदन पर कुर्ती और एक फटे हुए लंबे चौड़े आकार का स्वेटर जैसे गर्म कपड़ा,कान को ढ़कने के लिए एक कपड़ा गठान लगाकर पहने अपने हाथ में झाड़ू लेकर निकल जाते हैं। कई लोग उन्हें भला बुरा भी कहते हैं इनकी उन्हें तनिक भी चिंता नहीं होती है क्योंकि उन्होंने तो स्वच्छता को अपने जीवन का दिनचर्या बना कर रख लिया है। सुबह के समय 8:30 बजे तक वह सफाई करते ही रहते हैं। आते जाते कोई भी समय वह
झील्ली, कागज के रैपर इत्यादि को उठाते ही रहते हैं। उन्होंने चर्चा करते हुए बताया कि स्वच्छ वातावरण में ईश्वर का निवास होता है। साफ सफाई के जरिए गांव को गंदगी से मुक्त कराने के लिए किसी को कुछ कहने के बजाय खुद सफाई करें। यह कार्य करते हुए मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। इनकी उम्र पूछा तो बताया कि लगभग 90 पार हो गया है। दूसरी ओर इस उम्र में लोग घर से बाहर नहीं निकलते हैं लेकिन बिसन पटेल अपने सकारात्मक इच्छाशक्ति के चलते आज भी चंगा है और स्वच्छता अभियान का पर्याय बना हुआ है इन्हें किसी सम्मान या फिर सत्कार की आवश्यकता नहीं है। वह तो सिर्फ सफाई कर गांव के लोगों को स्वस्थ रखना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि सन् 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान का शंखनाद करते हुए पूरे देश की तस्वीर बदल दी। इस अभियान से जुड़कर हजारों संस्थाएं सम्मानित हुए हैं। लाखों लोगों को अवार्ड मिला है। युवा, महिला, पुरुष, राजनेता आदि झाड़ू चलाते हुए स्वच्छता अभियान का हिस्सा बनें। वर्तमान में स्वच्छता अभियान चलाने वाले स्वच्छता समितियां के कार्य अब कभी कभार ही चलते हैं। लगता है कि चौबेबांधा का बिसन पटेल की सकारात्मक सोच और साफ सफाई करने की इच्छा शक्ति ने इनकी उम्र को आगे बढ़ा दिया है। निहायत ही इससे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। जानकारी के मुताबिक पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में इस उम्र के यहां पहले शख्स है जो आज भी स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने के लिए नियमित प्रयासरत है। इस कार्य को करने में इनके उम्र भी इन्हें बाधा नहीं पहुंचा रही है और अकेला उत्कृष्ट उदाहरण बना हुआ है। जब सफाई कर रहे थे तो एक आदमी ने उन्हें कह दिया कि घर में रहितेच डोकरा किंतु उन्होंने इनकी बातों को बुरा नहीं माना और अपने कामों में रत रहे।

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