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शिक्षा पद्धतियों में बदलाव की आवश्यकता: अरुणा पल्टा

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राजिम। शासकीय राजीव लोचन स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संस्था प्रमुख डॉ. सविता मिश्रा के मार्गदर्शन में सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम के चतुर्थ दिवस के प्रथम सत्र की मुख्य अतिथि डॉ. अरुणा पल्टा, भूतपूर्व कुलपति, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग थी। उन्होंने “इनोवेटिव पड़ागोगी : ब्लेंडिंग टेक्नोलॉजी” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि आज के बच्चों पर ही हमारा देश निर्भर है। आज सबसे ज्यादा परिवर्तन उच्च शिक्षा में होना चाहिए। उच्च शिक्षा में नवाचार भी होना जरूरी है। पढ़ाते समय शिक्षक जिन पद्धतियों का उपयोग कर रहे है उसमें बदलाव की आवश्यकता है। ऐसी पद्धतियाँ अपनानी चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी लाभान्वित हो। ऐसी पद्धतियों को अपनाना चाहिए जिससे किसी भी धर्म अथवा जाति को किसी प्रकार की कोई क्षति न पहुंचे। उच्च शिक्षा में परिवर्तन इसलिए भी जरूरी है ताकि विद्यार्थी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खरे उतर सके। नई टेक्नोलॉजी का ज्ञान बढ़ाने की भी आवश्यकता है। आज विद्यार्थी को कुशल एवं अनुकूल बनाने की आवश्यकता है। कक्षा में विद्यार्थियों की सहभागिता अति आवश्यक है। इन्होंने चॉक डस्टर पद्धति को शिक्षण की जान बताते हुए बहुत सी नई पद्धतियों के बारे में बताया। फ्लिप्ड क्लासरूम, प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग, ब्लेंडेड लर्निंग, गेमीफिकेशन, जिगसॉ, मिस्टेक लेड लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी, आदि विषयों पर बात की गई।
दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. शैलेन्द्र कुमार वर्मा, सहायक प्राध्यापक, स्कूल ऑफ स्ट्डीज एंथ्रोपोलॉजी, पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी,रायपुर थे। उन्होंने शोध प्रस्ताव बनाने के लिए महत्वपूर्ण बातों की जानकरि दी। माइनर एवं मेजर प्रोजेक्ट बनाने के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को विस्तार में बताया। हमेशा अपने थीसिस को शोध गंगा में डाला जाना चाहिए। थीसिस नीति निर्माण के लिए अति आवश्यक साबित हुआ है। शोध करते समय या शोध प्रस्ताव बनाते समय साहित्यिक चोरी से बचना चाहिए।उन्होंने मुख्यतः रिसर्च प्रपोजल पर विस्तृत रूप से चर्चा की। जिससे प्रतिभागी बहुत ज्यादा लाभान्वित हुए। कार्यक्रम का संचालन मुकेश कुर्रे सहा. प्राध्यापक, वनस्पति शास्त्र) एवं आभार प्रदर्शन मनीषा भोई ( सहा. प्राध्यापक, अंग्रेजी) द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में शामिल डॉ. के. आर. मतवाले, एम.एल. वर्मा, डॉ. समीक्षा चंद्राकर,क्षमा शिल्पा मसीह, चित्रा खोटे, डॉ राजेश बघेल, मनीषा भोई, मुकेश कुर्रे, डॉ. देवेंद्र देवांगन, योगेश तारक, डॉ अश्वनी साहू, डॉ ग्रीष्मा सिंह, डॉ. सर्वेश कौशिक पटेल, निधि बग्गा, डाहरू सोनकर, खोमन साहू, हेमचंद साहू, प्रदीप टंडन, तोपचंद बंजारे, वाणी चंद्राकर नेहा सोनी, तृप्ति साहू, सोनम चंद्राकर, सुमन साहू, मनीष साहू, टेमन साहू, गरिमा साहू, वासुदेव धीवर, शुभम शर्मा, खुबलाल साहू, तरुण साहू थे।

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