मां तो आखिर मां ही होती है चाहे वह वानर हो या मनुष्य
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। महीने भर से प्रसिद्ध राजीवलोचन मंदिर में बंदरों का समूह डेरा डाले हुए हैं वह इस मंदिर से उस मंदिर और अंत में आने जाने वाले श्रद्धालुओं से चना या फिर अन्य प्रसाद खाने के लिए उनके आगे पीछे घूमते रहते हैं इसमें 20 से 25 बंदरों की इस दल में कुछ नन्हा बंदर भी है जिसे बंदर मां अपने गोद में लेकर ममता का निछावर कर रही है। शनिवार को राज राजेश्वर मंदिर के सामने गणेश जी के पास यह सभी बंदर बैठे थे। परंतु इस बंदर ने तो गोद में अपने बच्चे को लेकर इस तरह बैठ गए कि अब उन्हें दुनियादारी से कोई मतलब नहीं है सिर्फ मां की ममता बच्चे को जो प्यार दे सकती है और बच्चे को पाकर मां की प्रसन्नता इसी से बयां हो रही है।