किसान नमी ना कटे इसलिए धान सुखाने में कर रहे कमरतोड़ मेहनत
राजिम। अंचल में इन दिनों धान कटाई का जोरो पर है। रबी फसल में लगभग 50 फीसदी धान कटाई का काम हार्वेस्टर के माध्यम से किया जाता है। चूंकि मौसम का कोई भरोसा नही रहता कि कब बिन बादल बरसात हो जाये या फिर हवा तूफान के साथ ओलावृष्टि।विगत वर्ष ओलावृष्टि से किसानों को बहुत नुकसान हुआ था जिसको ध्यान में रखते हुए किसान किसी भी तरह की लापरवाही नही बरत रहे है।धान की कटाई के बाद ट्रैक्टर के माध्यम से धान के बालिया जो पूर्णतः सुखी नही है उनको सुखाने के लिए गांव के चौक चौराहो द्वार आंगन यंहा तक कि घर की छतों का उपयोग कर रहे है। यह सुबह धान को गलियों में फैला देते हैं और शाम होते ही उन्हें फिर से इकट्ठा करते हैं इस कार्य में परिवार के पूरे सदस्य लगे हुए हैं सुबह शाम के अलावा दिनभर इनकी देखरेख तथा कमरतोड़ मेहनत कर रहे हैं। अब प्रायः पारम्परिक कोठार ब्यारा में अधिकांश बाड़ी लगाकर साग सब्जी लगा दिए जाते है और धान की मिंजाई के लिए फसल काटकर या तो खेत में ही मिसाई कर रहे है या फिर जंहा खाली जगह मिल गया तो थ्रेसर से मिसाई कर रहे है।जिसके कारण गांव के गलियो चौक चौराहो सीसी रोड में धान मंडी जैसा माहौल देखने को मिल रहा है।खुटेरी के किसान रिखीराम निषाद ने बताया कि कोठार साफ करने का समय नही है और धान को हार्वेस्टर में मिसाई कराकर धान की नमी को दूर करने के लिए सूरज की ताप की जरूरत है उसके बाद सीधे मंडी ले जाकर बेचना है। नन्दकुमार निषाद ने बताया कि गली में सीसी रोड सीमेन्टकृत है जिसका ताप से धान की नमी जल्दी दूर हो जाती है इसलिए ऐसा कर रहे है और गर्मी इतना ज्यादा है कि मजदूर 11 बजे के बाद मुश्किल से खेतो में काम कर पाते है जिसके कारण थ्रेसर हार्वेस्टर जैसे आधुनिक उपकरणों का अधिकांश किसान उपयोग कर रहे है। चौबेबांधा,सिंधौरी, बरोंडा, श्यामनगर, सुरससबांधा, तर्रा, कोपरा, धूमा, देवरी, पीतईबंद, बकली, परसदा जोशी, सुरसाबांधा,भैंसातरा,बेलटुकरी, कौंदकेरा आदि में गांव की गलियों में ही धान सुखाने का काम तेजी से चल रहा है। बताना होगा कि कुछ किसान ऊंची कीमत पाने की आस में राइस मिल में सीधे ले जाकर बेच देते हैं परंतु नमी काटने के कारण उन्हें टोटल नुकसान हो जाता है। जिस से बचने के लिए यह सारे किसान अपनी उपज को सुखाने में लगे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में खाद, दवाई, पानी, मजदूर, मशीन इत्यादि सभी की कीमत बढ़ी हुई है ऐसे में लागत मूल्य ज्यादा आ रही है और यदि किसान अपनी उपज को कम कीमत पर बेचे तो लागत राशि वसूल करना मुश्किल हो जाएगा इसलिए किसान दुखीराम, सुकुल, दीनाराम, महेश, पुनीत राम, लीला राम साहू, महेंद्र पटेल, मोहन साहू, शिवदयाल वर्मा, दीनबंधु निषाद, खेलन चक्रधारी आदि ने प्रदेश प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार से रबी फसल के धान को भी समर्थन मूल्य में लेने की मांग की है। इन किसानों का साफ कहना है कि मंडी या फिर अन्य माध्यम से धान को बेचने पर अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है यदि सरकार खरीदे तो समर्थन मूल्य में ₹25 सौ क्विंटल में बिकने से किसानों के घरों में खुशियां आएगी।
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”