पैरोल पर छूटा अपहरण का आरोपी, सेंट्रल जेल के गेट से हुआ फरार
बिलासपुर/रायपुर। अपहरण के मामले में 2018 में आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी पैरोल की अवधि समाप्त होने के बाद जेल की गेट से फरार हो गया। बताया जा रहा है की कैदी को उसके परिजन जेल के गेट तक छोड़ने आए। यहां गेट के पास आरोपी को छोड़कर घर चले गए। इधर आरोपी जेल जाने के बजाय फरार हो गया। अब जेल प्रबंधन और परिजन ने मामले की शिकायत सिविल लाइन थाने में की है। इस पर पुलिस फरार आरोपी की तलाश कर रही है। मुंगेली जिले के करही में रहने वाले अनिल कुमार पाठे को अपहरण के मामले में 2018 में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। इसके बाद वे केंद्रीय जेल में बंद था। बीते दिनों परिजनों ने उसे पैरोल पर छोड़ने की मांग की थी।
इस पर महानिदेशक जेल के आदेश पर अनिल को पैरोल पर 11 जुलाई को छोड़ा गया। उसे गुरुवार की शाम जेल लौटना था। इस पर उसके जेल की गेट तक लेकर आए। केंद्रीय जेल के गेट के पास उसे छोड़कर स्वजन घर लौट गए। इधर बंदी के नहीं लौटने पर जेल प्रबंधन की ओर से इसकी जानकारी अनिल के पिता रामसुंदर पाठे को दी गई। इस पर रामसुंदर ने जेल प्रबंधन को बताया कि रिश्तेदार उसे गेट तक छोड़कर गए हैं। इसके बाद उसका कुछ पता नहीं है। शुक्रवार को जेल प्रबंधन की ओर से मामले की जानकारी सिविल लाइन थाने में दी गई है। इस पर सिविल लाइन पुलिस फरार बंदी की तलाश कर रही है।
सरकंडा के जबड़ापारा में रहने वाले विनोद केशरवानी के दो बेटे हर्ष और विक्की ड्रीमलैंड स्कूल में पढ़ते थे। विनोद का सरकंडा में ही मेडिकल स्टोर है। उनकी दुकान के सामने ही एक युवक आकाश यादव मुंगफल्ली का ठेला लगाता था। उससे हर्ष और विक्की की पहचान थी। आकाश ने हर्ष और विक्की के अपहरण की योजना बनाई। इसके बाद अपने साथियों के साथ दोनों बच्चों का अपहरण कर लिया।
इसके बाद उसने मेडिकल स्टोर संचालक को फोन कर दो करोड़ रूपए की फिरौती मांगी। इसकी शिकायत पर पुलिस बच्चों की तलाश कर रही थी। पुलिस का दबाव बढ़ने पर अहपरणकर्ताओं ने दोनों बच्चों को रूपए देकर एक बस में बैठा दिया। इसके बाद बच्चे बिलासपुर पहुंच गए। बाद में पुलिस ने मामले में अनिल और आकाश समेत सात आरोपियो को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। न्यायालय से अनिल को आजीवन कारावास की सजा मिली है।
पुलिस के अनुसार मुंगेली जिले के करही निवासी अनिल कुमार पाठे (30) को 2018 में अपहरण के केस में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद से वह केंद्रीय जेल में सजा काट रहा है। उसके जेल में रहते हुए परिजनों ने उसे पैरोल पर छोड़ने की मांग की थी। इसके बाद जेल महानिदेशक के आदेश पर अनिल को 11 जुलाई को 18 दिन के पैरोल पर छोड़ा गया था।