सभी गिरफ्तार आंदोलनकारी रिहा, कबीर चौक से कुसमुंडा मुख्यालय तक भूविस्थापितों ने निकाला संघर्ष जुलूस

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“बी एन यादव की​ रिपोर्ट”

कुसमुंडा/कोरबा। कुसमुंडा में कोयला खदान बंदी आंदोलन में गिरफ्तार सभी 16 आंदोलनकारियों को आज प्रशासन ने रिहा कर दिया। रिहा आंदोलनकारियों का ग्रामीणों ने कबीर चौक पर जबरदस्त स्वागत करते हुए उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया तथा एसईसीएल महाप्रबंधक कार्यालय के सामने धरना स्थल तक संघर्ष जुलूस निकाला। रोजगार एकता संघ और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने घोषणा की है कि जमीन के बदले रोजगार मिलने तक भूविस्थापितों का आंदोलन जारी रहेगा। संघर्ष जुलूस में दीपक साहू,दामोदर,राधेश्याम कश्यप, जय कौशिक,जवाहर सिंह कंवर,राधेश्याम कश्यप, मिलन कौशिक, अजय प्रकाश, गणेश प्रभु, बजरंग सोनी, पुरुषोत्तम कौशिक, मोहनलाल कौशिक, दीनानाथ कौशिक, अशोक साहू, सनत कुमार, हरी कैवर्त्य, रेशम, बलराम, अनुरुद्ध, सहोरिक, अभिषेक, राजेश, शांतनु सहित कई लोग शामिल थे। उल्लेखनीय है कि माकपा, और किसान सभा के समर्थन-सहयोग से रोजगार एकता संघ द्वारा भूविस्थापित किसानों को रोजगार देने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से लगातार आंदोलन किया जा रहा है और वे एसईसीएल के कुसमुंडा मुख्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। एक माह पूर्व भी कुसमुंडा खदान में घुसकर आंदोलनकारियों ने उत्पादन ठप्प कर दिया था, जिसके बाद प्रबंधन ने एक माह में समस्या को हल करने का लिखित समझौता किया था। लेकिन प्रबंधन बाद में मुकर गया, जिसके बाद कल रात दो बजे से आंदोलनकारियों ने पुनः खदान को ठप्प कर दिया। इस उग्र आंदोलन की कल्पना प्रबंधन ने भी नहीं की थी और खदान से हटाने के लिए उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा। इन गिरफ्तारियों के बाद महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव शुरू हो गया था। इस घेराव में कांग्रेस के नेता अमरजीत सिंह,परमानंद,सनिष कुमार, विनय बिंझवार,गीता गभेल,बसंत चंद्रा,पवन गुप्ता माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर किसान सभा के दीपक साहू,देव कुंवर,संजय यादव रोजगार एकता संघ के दामोदर, रघु,बजरंग सोनी के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण भी शामिल हो गए थे, जिससे प्रबंधन काफी दबाव में था। लेकिन आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी से डरने के बजाए ग्रामीणों के हौसले और बुलंद हो गए हैं और रिहाई के बाद जिस तरह उनका स्वागत हुआ, उससे साफ है कि आंदोलन और तेज होगा। धरना स्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने एसईसीएल के दमनात्मक रवैये की तीखी निंदा की और कहा कि रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे किसानों की आवाज़ को दमन से दबाया नहीं जा सकता। एसईसीएल द्वारा आंदोलनकारी किसानों को ठेके और स्वरोजगार देने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की स्थायी आजीविका जमीन का अधिग्रहण किया गया है, तो प्रबंधन को नियमित रोजगार देना ही होगा। रोजगार एकता संघ के सचिव दामोदर ने कहा कि इन गिरफ्तारियों से एसईसीएल का किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। उन्होंने कहा कि आंदोलन का और विस्तार किया जाएगा और रोजगार नहीं मिलने पर विस्थापित किसान अपनी जमीन पर कब्जा कर पुनः खेती करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि एसईसीएल प्रबंधन इस आंदोलन को तोड़ने के लिए कुछ दलाल तत्वों के साथ समझौते का नाटक रच रहा है, जिसके खिलाफ सभी ग्रामीणों को सचेत रहना चाहिए तथा इस क्षेत्र के सभी भूविस्थापितों की एकता को और मजबूत बनाना चाहिये।

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