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वृक्षारोपण की आखरी किश्त निकलते ही लग गई 15 एकड़ की रोपणी में आग… जिम्मेदार कौन?

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”वैभव चौधरी की रिपोर्ट”

धमतरी । पर्यावरण को संतुलित करने पेड़ों का क्या महत्व है ये सभी को मालूम होगा। और आज के दौर में प्रदूषण के बढ़ते खतरों को देखते हुए, केंद्र व राज्य सरकारें ज्यादा से ज्यादा पौधों को रोपने में पूरी ताकत झोंके हुए है, इसके साथ ही बहुत सी निजी संस्थाएं भी वृक्षारोपण को लेकर ख़ासी गंभीर हैं। जिसके लिए भारी भरकम राशि भी खर्च की जा रही हैं। वृक्षारोपण का कार्य समय समय पर जिले में भी पूरे दमखम से किया जाता रहा है। लाखों खर्च भी होते इन पौधों को वृक्ष बनाने में, तो बहुतों की मेहनतें भी इनमे शामिल होती हैं।
ऐसा ही एक वृक्षारोपण जिले की ग्राम पंचायत मड़ाईभाठा के आश्रित ग्राम मोखा में किया गया, जो बहुत बड़े पैमाने का माना जा रहा था, इसकी काफी सराहना भी की जा रही थी। और सराहना हो भी क्यों न! 15 एकड़ के बड़े भूखंड में हजारों पौधे रोपे गए थे, इसमें लगभग 10 लाख 39 हजार रुपए भी खर्च किए गए थे। जिसमे मनरेगा से 4.38 लाख, डीएमएफ से 5.1 लाख, व 15वें वित्त से 1 लाख की राशि जारी की गई। कार्य पूर्ण भी हो गया और कार्य से संबंधित सारी राशि का आहरण भी हो गया।
हैरानी की बात है कि इस काम की आखरी किश्त आहरण करने के कुछ ही दिन बाद पूरे 15 एकड़ में लगे पौधों में कहीं से आग लग गई! जिसमें आधे से ज्यादा पौधे जलकर ख़ाक़ हो गए।
इसके संबंध में जब हमारे सहयोगी ने गांव की सरपंच से बात की तो उन्होंने बताया कि 15 एकड़ में रोपित पौधों में आग लग गई, जिससे सारे पौधे जलकर खाक हो गए। इस पर सरपंच से पूछा गया कि आग कैसे लगी? तो उन्होंने कहा की मुझे नही पता, अब मैं दिनभर उस जगह की रखवाली थोड़ी करती रहूंगी जो मुझे मालूम हो। लेकिन मैं इस मामले की थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाऊंगी।आगे जब कार्य और पैसों के भुगतान के संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे कोई बहुत ज्यादा पैसे नही मिले हैं, मैने 80 हजार की मांग की थी, लेकिन मुझे सिर्फ 49 हजार ही दिए गए जिसमे से मुझे अन्य पंच लोगों में भी पैसे बांटने पड़े।
आगज़नी की इतनी बड़ी घटना के बावजूद सरपंच को थाने में शिकायत करने में 4 दिन लग गए। सरपंच ने बुधवार की शाम भखारा थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाई।ये वही सरपंच हैं जो इसी वृक्षारोपण कार्य के पूर्ण होने के बाद अंतिम भुगतान की राशि आहरण करने के लिए चेक पर हस्ताक्षर करने को राज़ी नहीं हो रहीं थी, वजह कोई और नहीं कमीशन थी।
इनके ऐसे व्यवहार से स्पष्ट होता है कि इन्हें केवल अपने कमीशन से ही मतलब था, वृक्षारोपण से नही! शायद सरपंच महोदया को वृक्षारोपण और वृक्षों के महत्व की जानकारी न हो, अगर जानकारी होती तो वे इस आगज़नी की घटना को लेकर इतने सुस्त कदम न होती।
वहीं सूत्रों से पता चला है कि ये कमीशन सिर्फ सरपंच, पंच ही नही कुछ आला अफसरों तक भी पहुंचा है!
बहरहाल इस मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि इस वृक्षारोपण में हुए तमाम घोटालों, और आग लगाने वालों के खिलाफ सुक्ष्मतम जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।

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