पोला पर्व पर बच्चों ने छक्कर दौड़ाया नादिया बैल
राजिम । सोमवार को पोला पर्व के अवसर पर छोटे बच्चों ने नादिया बैल छक्कर दौड़ाया। इसमें उनके उत्साह देखते ही बन रहा था। बता दें कि साल भर में अलग-अलग त्योहार होते हैं लेकिन भादो मास की अमावस्या तिथि को पोला पर्व ग्रामीण अंचलों समेत शहरी क्षेत्रों में भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर किसान कृषि कार्य में आने वाले बैल के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुए उन्हें नहला धुलाकर साफ सुथरा किया जाता है तथा चीला रोटी खिलाकर उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित किया हैं। वहीं मिट्टी के नादिया बैल बनाया गया साथ ही चुकी पोरा खरीदकर किसान कुंभकारो से अपने घर ले आये और इनकी पूजन अर्चन किया पश्चात बालक नादिया बैल दौड़ाकर खेला तो बालिकाएं चुकी पोरा खेलकर अपना मनोरंजन किया। कहा जाता है कि खेल कोई भी हो उन्हें नियमत: खेलने से आत्मविश्वास पैदा होता है। छोटे बच्चे इन खेलों को खेलकर न मनोरंजन किया बल्कि खुद से मोटिवेट भी होते गये। उल्लेखनीय है कि कुशोत्पाटिनी अमावस्या की रात्रि किसान अपने फसलों की पूजा करते हैं। इस मौके पर रात्रि में गांव के लोग एक जगह एकत्रित हो गए और ग्रामीण देवी देवता जो गांव के चारों ओर स्थित है उन पर मिट्टी के बैल चढ़ाकर पूजा अर्चना किए तथा खुशहाली से रहो करके नारा लगाया गया। बताया जाता है कि फसलों को आज के दिन गर्भधारण संस्कार किया जाता है। फसलों पर चीला रोटी के साथ ही गांव में खुशी का माहौल रहा। कोरोनावायरस के चलते इस वर्ष भी कहीं कोई खेल प्रतियोगिता, लोक खेल एवं बैल दौड़ जैसे कार्यक्रम होने की जानकारी नहीं मिली। आज के दिन अपने घरों में छत्तीसगढ़ी रोटी बनाए थे जिन्हें परिवार के सदस्यों ने छक्कर खाया। एक दूसरे में मेल मिलाप कर इस त्यौहार को एकता एवं भाईचारे का संदेश दिया। रविवार की रात्रि से लेकर आज अपराहन 3:00 बजे झूमकर बारिश हुई। इससे किसानों को कुछ राहत मिली है।
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”