विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के कृतज्ञता ज्ञापन पर बृजमोहन ने सरकार पर किए तीखे हमले
रायपुर । भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। यहाँ परम्परा और मर्यादाए टूट रही हैं। प्रदेश आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। यहाँ माफिया राज चल रहा है कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ की जनता स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रही है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि सभापति महोदय ,आज इस सदन में हम बहुत भारी मन से , बहुत दुखी मन से खड़े हुए हैं और साल में एक बार माननीय राज्यपाल महोदया का अभिभाषण होता है इसलिए हम लोगों ने यह तय किया है कि हम राज्यपाल के अभिभाषण में भाग लेंगे। जब हम राज्यपाल के अभिभाषण में भाग ले रहे हैं तो इस सदन की सभी मर्यादाएं टूटी हैं, सभी वर्जनाएं टूटी हैं। इस सदन की सभी परम्पराएं टूटी हैं, सभी नियम, कानून कायदे टूटे हैं। यह दुर्भाग्य है कि छत्तीसगढ़ का सदन उच्च परंपराओं से चलता रहा है।हमें यह मालूम है कि अध्यक्ष जी को अधिकार है कि वह नियम को शिथिल करके दूसरा बिजनेस ले सकते है, परंतु सदन में अनुपूरक बजट होना था तो अनुपूरक बजट में विपक्ष भी भाग ले। दूसरे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो जाए, इसके ऊपर में क्या बाध्यता थी कि यह नहीं हो सकती ? हमारे विद्वान मंत्री अकबर बैठे हैं और सर्वज्ञ ज्ञाता कवासी लखमा बैठे हैं। जरा मुझे बताइए न कि क्या राज्यपाल के अभिभाषण पर इस छत्तीसगढ की विधानसभा में आज तक दो दिन से कम कभी चर्चा नहीं हुई है। करोनाकाल समाप्त हो गया। विधानसभा की कार्यसूची विधानसभा प्रारंभ होने के पहले दिन जारी होती है। यह क्यों नहीं हो सकता था ? अगर मुख्यमंत्री को आज ही सप्लीमेंट्री बजट प्रस्तुत करना था तो राज्यपाल के अभिभाषण पर कल चर्चा हो जाती। हमारे संतराम नेताम विद्वान सदस्य हैं पुराने सदस्य हैं।
राज्यपाल से असत्य कथन करवा रही सरकार
सभापति महोदय, राज्यपाल, राज्यपाल होते है, राज्यपाल महिला नहीं होती, राज्यपाल पुरुष नहीं होता । राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख होता है। यह सरकार मजबूर करती है। सामान्यतः हम लोग राज्यपाल के अभिभाषण में कभी व्यवधान नहीं करते हैं। दूसरे राज्यों में क्या हो रहा है जरा देख लीजिए, क्योंकि यह सरकार राज्यपाल से पूरी तरह असत्य कथन करा रही थी। एक भी बिंदु सच नहीं था। मेरे पास मुख्यमंत्री का आज का जवाब है। उन्होंने कहा है कि 36 में से 17 वादे पूरे किए हैं 19 वादे पूरे नहीं किए हैं। आज के प्रश्न में देख लीजिए। टोटल 254 वादे हैं। उन्हीं वादों के फेहरिस्त विधानसभा में राज्यपाल से गिनवाई जा रही थी।