मुख्यमंत्री बघेल को जानकारी नहीं नान मामले की जाँच ईडी पहले से कर रही है:डॉ.रमन सिंह
रायपुर। ईडी, नान घोटाले और चिटफंड मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि, प्रदेश में किसी भी भ्रष्टाचारी के घर छापा पड़े तो सबसे पहली प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सामने आती है। यह बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि इस प्रतिक्रिया में वह भ्रष्टाचार का विरोध नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों का समर्थन करते हैं और जांच पर सवाल उठाते हैं। आज छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की बदौलत एक परंपरा चल पड़ी है कि जिसके घर भी छापा पड़ता है वो व्यक्ति शर्म से सर झुकाने की जगह सीना चौड़ा करके चलता है जैसे इन छापों से छत्तीसगढ़ की छवि पर चार चाँद लगा दिए हों। अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के भीतर जो यह आत्मविश्वास बढ़ा है, यह भूपेश बघेल के समर्थन से ही हुआ है। पूर्व में पड़े आयकर विभाग के छापों से प्राप्त दस्तावेज के आधार पर वर्तमान में प्रदेश में जो ED के छापे पड़ रहे हैं। इन छापों के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षक बनकर सामने आ जाते हैं और ED के अधिकारियों को धमकी देने लगते हैं, उनकी जांच और विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाते हैं। जब-जब इस सरकार पर जांच का घेरा कसने लगता है तब भूपेश बघेल नान मामले के चिराग से CM मैडम नाम का जिन्न निकाल लेते हैं, मैं उन्हें एक बार फिर याद दिलाना चाहता हूँ कि आपकी सरकार की गठित SIT ने ही अपनी जांच रिपोर्ट में साफ़-साफ़ लिखा था कि CM मैडम “चिंतामणि” हैं। अब या तो भूपेश बघेल जी ने रिपोर्ट पढ़ी नहीं या फिर वो सब जानते हुए भी जनता के सामने झूठ बोलने की कोशिश कर रहे हैं। 2015 में जब दो वरिष्ठ अधिकारियों का नाम नान घोटाले में सामने आया तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उन पर तत्काल कार्यवाही करते ही चार्जशीट दायर की और उन्हें निलंबित किया जिन भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध हमारी सरकार ने मुकदमे दायर किए उन्हें कांग्रेस की सत्ता आते ही बड़े पदों से सम्मानित किया गया। इन अधिकारियों पर जब आयकर विभाग ने कार्यवाही की तब उनके व्हाट्सएप चैट से ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो साबित करते हैं कि किस तरह से भूपेश बघेल भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षक बनकर काम कर रहे थे। एक तरफ भूपेश बघेल नान घोटाले के प्रमुख आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के विरुद्ध सीबीआई और ED से जांच हेतु प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखते हैं और दूसरी तरफ यही भूपेश बघेल कांग्रेस की सरकार आते ही न केवल उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में संरक्षण देते हैं बल्कि प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों में भी बैठा देते हैं। साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नान मामले में ईडी द्वारा जाँच की मांग करने के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि, मुख्यमंत्री भूपेश जी नान मामले की जांच ईडी पहले से कर रही है और प्रदेश से दूसरे राज्य में ट्रांसफर करना चाहती है ताकि निष्पक्ष जांच हो तो भूपेश बघेल उसमें अड़ंगा क्यों लगा रहे हैं? जिस तरह भूपेश बघेल ने आय से अधिक संपत्ति मामले में मेरे विरुद्ध षड्यंत्र रचकर मेरी छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की और अंत में जब न्यायालय का निर्णय आया तब इस पूरे घटनाक्रम को “निराधार और राजनीति से प्रेरित” बताया। प्रदेश में ED के हर छापे के बाद जाँच एजेंसी पर सवाल उठाना और चिटफंड मामले पर विलाप करना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आदत बन चुकी है, सिर्फ अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भूपेश बघेल यह मुद्दे उठाते रहते हैं। चिटफंड के मामले में, मैं आप सभी के सामने राजनांदगांव का उदाहरण रखना चाहता हूँ, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बिना किसी आधार और साक्ष्य के सिर्फ चिटफंड पर आक्षेप करते रहते हैं। जबकि सत्य यह है कि इस मामले में भूपेश बघेल की पुलिस और उनकी SIT ने जांच की है। चिटफंड की जांच उपरांत स्पष्ट रूप से कहा कि “विवेचना में अपराध में शामिल धारा 406, 467, 468ए, 471ए, 384ए, 120बी भा. द. वि. के दंडनीय कृत्य के संबंध में स्टार प्रचारकों द्वारा प्रत्यक्ष कार्य किया जाना अथवा कार्यलोभ घटित होना स्थापित नहीं हुआ। धारा 10 निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000, 3,4,6 प्राइज चिट्स एंड मनी सरकुलेशन स्कीम्स बैनिक एक्ट 1978 के अधीन निवेशकों की निवेश राशि के भुगतान में व्यक्तिगत तथा लुभावनी स्कीम के माध्यम से निर्देश प्राप्त करने अथवा स्वयं के लिए इस निवेश के माध्यम से आर्थिक लाभ प्राप्त करने में स्टार प्रचारकों की संलिप्तता स्थापित नहीं हुई।” मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भले ही ईडी की विश्वसनीयता पर शंका हो पर मुझे इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच पर विश्वास है उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। जब आय कर विभाग भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखता है तब उसमें किसी प्रकार का जांच नहीं होती. जब ED इनके भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश देता है तब कोई जांच क्यों नहीं होती, अब खुद FIR करते नहीं है और केन्द्रीय एजेंसी जांच करे तो नारेबाजी करने लगते हैं, अपराधियों का ऐसा संरक्षण तो इस प्रदेश ने पहले कभी नहीं देखा।