नवापारा के काली मंदिर में श्रद्धालु मत्था टेकना नहीं भूलते,प्रतिदिन सेवा गीत से बह रही भक्ति धारा
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
नवापारा/राजिम । कमलक्षेत्र के चारों ओर देवी देवताओं के मंदिर स्थापित है। शहर के हरिहर हाईस्कूल के सामने देवी महाकाली का मंदिर श्रद्धालुओं की श्रद्धा, भक्ति एवं विश्वास की परंपरा को बनाए हुए हैं। प्रतिदिन सुबह-शाम दो बार पूजन आरती के साथ ही घंटियों की झंकार से पूरा माहौल भक्ति में हो जाता है। यह मंदिर रायपुर देवभोग मुख्य मार्ग से तिरालिस किलोमीटर की दूरी पर बस स्टैंड से 200 गज की दूरी पर स्थित है। सामने दो बड़ा सा सिंह दाएं बाएं खड़े मुद्रा में है। बताया गया कि मंदिर का निर्माण जन सहयोग से किया गया है तथा विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा विक्रम संवत 2059 चैत सुदी अष्टमी शनिवार को किया गया। चतुष्कोणीय मंदिर के दक्षिण व पूर्व में महाकाली के रौद्र रूप का चित्रांकन किया गया है। ललाट बिंब में गणेश तथा त्रिशूल धारण किए हुए भोले शंकर एवं सीना फाड़ राम सीता को दिखाया गया है। महामंडप में सप्त घंटियों की झंकार हमेशा गुंजित होता रहता है। गर्भगृह में मां काली विराजमान होकर भक्तों की मनौती पूरा कर रही है। चर्चा करने पर उपस्थित स्थानीय लोगों ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के समय लगातार दो दिनों तक पूजा पाठ किया गया। पश्चात रात्रि 2:00 बजे द्वार पर खड़े दोनों प्रतिमा तेजी से हुंकार मारकर उचकने लगा। इस अलौकिक दृश्य को देखकर पुजारी सहित अन्य लोग भी आश्चर्यचकित हो गए और सिंह के चरण में जाकर गिर गए तब कहीं जाकर शांत हुए। दूसरे दिन सिंह की भी विधि विधान से पूजा आराधना किया गया और उनके पैर को संकल से बांधा गया इस घटना से दर्शनार्थियों की श्रद्धा विश्वास और अधिक बढ़ गई। मंदिर में परिक्रमा पथ पर ज्योति कक्ष का निर्माण किया गया है जिसमें बड़ी संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं। इस संबंध में साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने बताया कि कि तीन महाशक्तियां महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती है। महेश्वर की शक्ति महाकाली कर्मयोग की प्रेरणादायक है वह क्रिया शक्ति से परिपूर्ण है इनकी आराधना कर्म भाव को जागृत करती है। सर्वव्यापिनी आदिशक्ति महाकाली भक्तों की रक्षा, दानव एवं अधर्मियों के संहार हेतु अनेक रूप में अवतरित हुई है। महामाया प्रकृति स्वरूपिणी महाकाली संसार के हर जीवो की मूल प्रेरिका सक्ती है कण-कण में व्याप्त होकर धर्म संपत्ति एवं कामना देने वाली तथा जगत को चलाने वाली है। आदिशक्ति महाकाली पार्वती रूप में है जो कलयुग में सबसे अधिक फल देने वाली है। मंत्र यंत्र तंत्र की सिद्धिदात्री भी है जो भी मां की उपासना सच्चे हृदय से करते हैं उनकी झोली भगवती मां काली अवश्य भर देती है। चैत्र और कुंवार दोनों नवरात्र पर्व में ज्योति कलश प्रचलित की जाती है। पर्व के अलावा अन्य अवसर पर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु का प्रतिदिन उपस्थित होते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रयाग भूमि में अनेक देवी मंदिर है इनमें प्रमुख रूप से नवापारा के काली मंदिर के अलावा कमलक्षेत्र की आराध्य देवी मां महामाया राजिम में विराजमान है। कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के द्वितीय गर्भगृह में दुर्गा माता मंदिर, पुरानी हटरी के पास चंडी माता मंदिर, शीतला मंदिर, शक्ति मंदिर, मावली माता, दंतेश्वरी देवी आदि विराजमान है। प्रतिदिन स्थानीय सेवा मंडलियों के द्वारा माता के भजनों को सेवा गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है जिससे भक्ति रस की धारा बह रही है। नवापारा आने वाले हर श्रद्धालु मां महाकाली की दर्शन करने नहीं भूलते हैं और देर सवेर उनके दरबार में आकर मत्था जरूर टेकते हैं।