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Chhattisgarh

वन विभाग की मेहरबानी से सागौन लकड़ी नवागांव एनीकट में सड रहा,गांव के तैराको ने बरसात के बाढ़ में इस लकड़ी को किनारे लगाया था

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“संतोष सोनकर जर्नलिस्ट”

राजिम । शहर के त्रिवेणी संगम के ऊपर दक्षिण की ओर सोंढूर पैरी नदी में नवागांव एनीकट निर्मित है इसमें 12 महीने पानी भरा रहता है यहां सौगोन का करीबन 25 फीट लंबी तथा 5 से 8 फीट चौड़ी लकड़ी पानी में पिछले 6 महीने से डूबा है इस कीमती लकड़ी की कीमत लाखों में आंकी जा रही है किंतु फॉरेस्ट विभाग ने ध्यान दिया है और ना ही स्थानीय काष्ठागार के अधिकारियों ने इनकी चिंता की है। नतीजा यह लकड़ी दिनोंदिन पानी में डूब कर सड रहा है। वर्तमान में माघी पुन्नी मेला के लिए छोड़े गए पानी से एनीकट का जलस्तर कम हो गया और यह लकड़ी उभरकर दिखने लगा। उल्लेखनीय कि अगस्त सितंबर माह में बरसात के समय नदी में भयंकर बाढ़ आई थी जिसमें यह लकड़ी भी बहते हुए आ गए थे। चौबेबांधा पुल के स्तंभ में फंस जाने के कारण आगे न बह सकें और लकड़ी ठहर गया जैसे ही जलस्तर कम हुआ लोगों की नजरें पड़ी और 50 से 60 ग्रामीण इकट्ठा हो गए तथा तैरते हुए इस लकड़ी को बड़ी मुश्किल से किनारे लगाया परंतु ऐन वक्त पर वन विभाग के अधिकारी पहुंच गए और लकड़ी को अपने अंडर में ले लिया। तैरकर लकड़ी को किनारे में लगाने वाले लोग कहते रहे कि हमने मेहनत की है कम से कम कुछ तो मेहनताना बनता है परंतु इन अधिकारियों ने इनकी एक भी बात नहीं सुनी और हम इसे तुरंत ले जा रहे हैं कहकर छोड़ने को कह दिया। शाम से रात हो गई लकड़ी वहीं पड़ा रहा इस बीच धार और तेज हो गई तथा दूसरे से तीसरे दिन बहते बहते एनीकट के पास चले गए और वही जाकर रुक गए। मार्च महीना चल रहा है और इस तरह से पानी में डूबे हुए 6 महीने कंप्लीट हो गए लेकिन विभाग के अधिकारियों को इस कीमती लकड़ी की तनिक भी चिंता नहीं है और यह लकड़ी पानी में सड़ रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि यदि लकड़ी उनको मिल जाता तो गरीब लोगों का भला हो जाता लेकिन विभाग के अधिकारी माने नहीं और यह सड रहा है। कहना होगा कि जिले में अगर इसी तरह से विभागीय काम चल रहा है तो बड़ी शर्म की बात है ऐसे कीमती लकड़ी की अनदेखा कहां तक उचित है। लोगों के जेहन में यह प्रश्न उभर कर सामने आ रहा है। शासकीय संपत्ति की अनदेखी से स्थानीय लोग बिफरे हैं।

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