कानफोड़ू डीजे की आवाज से आसपास के लोगों को हो रही भारी परेशानी
राजिम । गणेश प्रतिमा विसर्जन करने का दौर जारी है आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने छोटी बड़ी प्रतिमा त्रिवेणी संगम के जल में विसर्जित किए। कुछ लोगों ने छोटी मूर्तियां अपने सिर में रखकर लंबोदर भगवान की जयकारा लगाते हुए नदी तालाब व नालों की ओर निकल पड़े तो कुछ लोगों ने साइकिल, बाइक, ठेले, ट्रैक्टर व छोटा हाथी वाहन पर बिठाकर सरोवर तक ले गए। कल सुबह से ही त्रिवेणी संगम में मूर्ति विसर्जित करने का दौर शुरू हो गया था। विसर्जन करने से पहले गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ के नारे लगते गए तथा छोटे बच्चे लगातार ग्यारह दिन तक गणेश की सेवा एवं भक्ति किए थे इसलिए उनकी विदाई के वक्त आंखें सजल हो गए। शहर के अलावा लगे हुए गांव खुटेरी, खुड़ियाडीही,सेम्हराडीह में गणपति प्रतिमा का विसर्जन सरगी नदी में किया गया। इस मौके पर लोग बैंड की धुन पर नाचते रहे तथा गुलाल लगाकर पटाखे फोड़ कर बप्पा की विदाई को यादगार बनाया। वेदप्रकाश नागरची नेमु साहू, तेजराम, रिखी राम साहू, चोखे लाल, डॉ यशवंत निषाद, शंकर साहू, चिंताराम, दादू, गुमान राम, दिनेश, रोशन ने बताया कि शिव पार्वती के लाडले हम सबके प्रिय है प्रतिवर्ष गणेश भगवान की पूजन आराधना करने का 11 दिन का समय मिलता है यह हम सबके जीवन में खुशी लाता हैं और उत्साह के साथ भाग लेते हैं। 11 दिनों तक बप्पा के साथ परिवार के सदस्य की तरह संबंध प्रगाढ़ हो गए थे। अगले बरस का इंतजार रहेगा। इसी तरह से चौबेबांधा के दुष्यंत सोनकर, मनोज साहू, गोपाल साहू, सीताराम सोनकर, खिलेंद्र सोनकर ने बताया कि गणपति उत्सव हम सब को एकता के सूत्र में बांधा है तथा इससे बुद्धि का वर मांगा है प्रथम पूज्य देव के शरण में आने के बाद कोई भी वक्त खाली हाथ नहीं जाता। यहां के लोगों ने पैरी नदी में प्रतिमा का विसर्जन किया। इसी तरह से सिंधौरी, बरोड़ा, श्यामनगर, तर्रा, कुरूसकेरा, कोपरा, भेंडरी, रावड़, लोहरसी, धूमा, परतेवा, देवरी, बेलटुकरी, पीतईबंद, भैंसातरा, लफंदी, बकली, परसदा, अरंड, पोखरा, हथखोज, पीपरछेड़ी, रोहिना, खुटेरी, पथर्रा, नवाडीह धूमधाम के साथ शोभायात्रा निकालकर विसर्जन किए। नगर में रविवार की शाम डीजे की धुन पर प्रतिमा विसर्जन के दौरान लगातार डीजे एक के बाद एक क्रमश: चलते रहे और लोग झूमकर तितर बितर होकर नाचते रहे। डीजे की कनफोडु आवाज से आने जाने वाले लोग अपने कान बंद कर लिए। कई लोग इनसे दूरी बनाकर डायवर्ट रोड से अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचे। बता देना जरूरी है कि इनकी तेज आवाज बहुत से लोगों को सहन नहीं होते और वह परेशान हो जाते हैं। कोरोना गाइडलाइन के कारण पिछले साल डीजे पर बैन लगाई गई थी परंतु इस बार कोरोना केस कम होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी सुविधानुसार डीजे की धुन पर नाचते गाते हुए विसर्जन के लिए आगे बढ़े। चलते चलते महामाया चौक के पास आए तो देखते ही देखते शाम को ही बाजार सुना हो गया क्योंकि इनकी तेज आवाज से किसी को कुछ समझ नहीं पड़ रहा था और यहां से चले जाना ही क्रेता और विक्रेता दोनों ने सही समझा और अपने अपने घर चले आए। इनकी आवाज से ध्वनि प्रदूषण तेजी के साथ फैलता है जो सीधे ओजोन परत को प्रभावित करती है। एक्सपर्ट की मानें तो इससे व्यक्ति को फेफड़े संबंधी बीमारी, अनिद्रा व कई प्रकार प्रकार के परेशानियां होती है। लगातार तेज आवाज के पास रहने से शीघ्र श्रवण संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। इस दौरान वहीं उपस्थित कुछ बुजुर्गों ने अप्पी चर्चा करते हुए कहां की पहले लोग गणेश उत्सव पर पैसे इकट्ठा कर सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम कराते थे लेकिन आज काल के नए जनरेसन पैसे इकट्ठा तो जरूर करते हैं लेकिन इससे वह सिर्फ उनका उपयोग डीजे के लिए करते हैं इससे हमारी संस्कृति विकृत होती जा रही है।
“संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट”