विद्युत उपभोक्ताओं को अब बड़े बिलों से राहत,दोगुने से अधिक राशि का बिल अब सीधे जारी नहीं होंगे
रायपुर। मीटर रीडिंग के कार्य में मानवीय त्रुटि होने की संभावना रहती है जिससे अनावश्यक रूप से बड़ी रकम का बिल उपभोक्ता को मिलने से जहां असंतोष की स्थिति बनती है, वहीं उपभोक्ता एवं विभाग दोनों का ही समय, श्रम बिल सुधार में लगता है। इसका तकनीकी निदान निकल आया है। अब प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को अधिक राशि के बिल नहीं मिलेंगे।छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक हर्ष गौतम ने बताया कि फोटो बिलिंग साफ्टवेयर में ही तकनीकी निदान किया गया है, जिससे बीते वर्ष के अधिकतम बिल राशि के दोगुनों से अधिक का बिल साफ्टवेयर बनने ही नहीं देगा। उदाहरण के तौर पर यदि बिल राशि दो हजार रुपए था तो साफ्टवेयर चार हजार रुपए से अधिक का बिल राशि को बनने से ही रोक देगा और उपभोक्ता को बिलिंग सीधे मौके पर नहीं होगी।एकमुश्त संग्रहित खपत अथवा गलत रीडिंग के कारण अत्यधिक बिल बनने की आशंका रहती है ऐसे बिल अब नहीं बनेंगे, जिससे उपभोक्ता को अत्यधिक राशि का बिल भी नहीं मिलेगा। ऐसे प्रकरणों पर जहां साफ्टवेयर बिल बनने से रोक देगा, वहां विभाग के अधिकारी जांच कर वास्तविक देय बिल जारी कर सकेंगे।वस्तुतः ऐसे प्रकरणों पर अभी बिल जारी होने के बाद बिल सुधार की कार्रवाही शिविर लगाकर की जाती है, जिसकी अब आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। वरन् उपभोक्ता को बिल जारी करने के पूर्व ही पूर्ण जांच कर सही बिल उपभोक्ता को जारी होने से उपभोक्ता संतोष में वृद्धि होगी। यह नयी व्यवस्था 1 मार्च 2022 से लिये जाने वाले मीटर रीडिंग से लागू की जा रही है।प्रबंधन व्दारा उपरोक्त के अतिरिक्त व्यापक उपाय किये गए हैं, जिनमें नवीन मीटर रीडर योजना लागू की गई है, जिसके तहत ठेका पद्धति को बंद करके 4800 युवाओं को रोजगार दिया गया है। उनसे सीधे अनुबंध करके मीटर रीडिंग का कार्य दिया गया है। उन्हें ऐसा साफ्टवेयर उपलब्ध कराया गया है, जिसमें उपभोक्ता के परिसर से ही मीटर की फोटो खींचकर रीडिंग अपलोड करना संभव होगा। कहीं दूसरे स्थान पर बैठकर रीडिंग अपलोड नहीं किया जा सकेगा। साथ ही मीटर रीडर उपभोक्ता के बीते वर्ष के देय अधिकतम राशि से दोगुने से अधिक का बिल उपभोक्ता को प्रदान नहीं कर पाएगा। राजस्व प्रबंधन में यह नई व्यवस्था उपभोक्ता एवं विभाग दोनों के लिए लाभदायी होगी।