आजादी के 75 साल बाद भी राजिम जिला नहीं बनने से लोग नाराज
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। धर्म नगरी राजिम गत कई वर्षों से जिला बनने के लाइन में खड़ा है लेकिन अभी तक इनकी सुध लेने वाला कोई प्रगट नहीं हुआ है जिससे क्षेत्रवासी खासे नाराज हैं। देश को आजाद हुए 75 साल बीत गए। इस बार पचहत्तर वां वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मनाएगा। इसी क्रम में राजिम में भी यह खुशी है। लोगों को इस बात का मलाल है कि प्राचीन नगरी राजिम को जिला क्यों नहीं बनाया गया जबकि यह खुद विधानसभा मुख्यालय हैं। अनुविभागीय कार्यालय यहां मौजूद है। देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में इनकी गिनती आती है। छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मेला राजिम में लगता है। पूरे 15 दिनों तक कई लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। पुण्य स्नान दर्शन पूजन तथा मेला घूमने का लाभ लेते हैं। इसे प्रयागराज की मान्यता मिली हुई है। देश में दो ही प्रयाग के बारे में लोगों को जानकारी है जिनमें से एक उत्तरप्रदेश तथा दूसरा छत्तीसगढ़ का राजिम धाम है। जानकारी के मुताबिक त्रेता युग में देवी सीता ने अपने हाथों से यहां के त्रिवेणी संगम में शिवलिंग का निर्माण किए हैं इसी समय लंका चढ़ाई के लिए रामचंद्र ने रामेश्वर में रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना किया था। रामायण काल के दो मूर्ति राम और सीता ने शिवलिंग स्थापित किए। डॉ. मन्नूलाल यदु अपने शोध ग्रंथ में लिखते हैं कि रामचंद्र राजिम में चौमासा व्यतीत किया था तथा उपस्थित आसुरी शक्तियों का विनाश किया। यहां के निर्मित मंदिर को कलचुरी कालीन बताया जाता है। सीताबाड़ी में हुई खुदाई के अनुसार बताते हैं कि लगभग चौथी शताब्दी में नदी किनारे घना बस्ती था। इतनी प्राचीन शहर आज भी अपने अस्तित्व के लिए जिला बनने के क्रम पर खड़ा हुआ है। देश में जितने भी बड़े तीर्थ स्थल है लगभग सभी जिला मुख्यालय के रूप में अस्तित्व में आ चुके हैं परंतु राजिम का दुर्भाग्य ही है कि अभी तक जिला नहीं बन पाया है जबकि इस विधानसभा ने अविभाजित मध्यप्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री दिए। जिला तो मध्यप्रदेश के समय से ही बन जाना चाहिए था। इस संबंध में छात्रों से चर्चा करने पर बताया कि हमारे बाप दादा जिला बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जिनके कारण आज भी हम लोगों को दूसरे शहरों के ऊपर आश्रित होना पड़ता है कभी रायपुर जिला में थे अब गरियाबंद जिला में है अपना अस्तित्व आखिर हमें कब मिलेगा। अलग-अलग कोर्स में पढ़ाई के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है यहां न ही व्यवसायिक पाठ्यक्रम है और न ही शिक्षा की कोई अच्छी व्यवस्था है। राजिम में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज, संगीत महाविद्यालय, बीएड कॉलेज, आईटीआई, जैसे शिक्षा संस्थान होना चाहिए। नहीं होने के कारण यहां के छात्रों को अन्य शहरों में पलायन करना पड़ रहा है। इससे पैसा ज्यादा लग रहे हैं तथा समय की भी बर्बादी हो रही है। अधिकतर क्षेत्र के छात्र-छात्राएं 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं या फिर बी ए और एम ए करने के बाद रोजी मजदूरी का काम करते हैं। कैरियर के संबंध में गाइड करने वाला कोई नही है। उक्त शैक्षणिक संस्थान खुलने से छात्र-छात्राएं खुद मोटिवेट होंगे।नवापारा राजिम दोनों शहरों में तकरीबन सैकड़ों राइस मिले हैं। कृषि क्षेत्र में यह अच्छा प्लेटफार्म है यहां के टोटल लोग कृषि पर ही आधारित है जिला बनने से बहुत ही सुविधाएं उन्हें मिलेगी। छोटे-छोटे कामों के लिए इन किसानों को राजिम से 45 – 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जिला मुख्यालय जाना पड़ता है यहां होने से काम झट से होंगे। किसानों ने बताया कि आजकल बंदोबस्त त्रुटि के चलते किसानों को तहसील मुख्यालय एवं भू अभिलेख शाखा का लगातार चक्कर काटना पड़ रहा है इससे किसानों के समय की बर्बादी हो गई है बल्कि मानसिक रूप से भी परेशान हुए हैं जिला मुख्यालय राजिम होने से सुविधा तो जरूर मिलती। इसी तरह से व्यापारियों का भी कहना है कि राजिम जिला अवश्य बने। जिला स्तर के अधिकारी यहां बैठेंगे तो विकास होगी तथा यहां के लोगों को सुविधाएं भी मिलेगी।