चार छात्रवास, 300 छात्र, एक बोर पम्प के सहारे, कन्या आश्रम व बालिका छात्रवास की बालिका डिब्बा लेकर बाहर जाते है शौच के लिए

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“दीपक ठाकुर की रिपोर्ट”

कवर्धा। जिले के लिए इससे बड़ा दुर्भग्य की बात और क्या होगी जहां आदिवासी ब बैगा बच्चे व बालिका शौच के लिए आज भी डिब्बा लेकर खुले मैदान में जाते है। जी हां हम बात कर रहे है। जिले के सबसे सुदूर वनांचल ग्राम दलदली की यहाँ के आसपास के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। इसके लिए कन्या आश्रम में 50, कन्या छात्रावास में 50 बालिका रहते है। इसी प्रकार आदिवासी बालक आश्रम मर150 व बालक छात्रवास में 50 बालक रहकर पढ़ाई करते है। यहां कुल 300 छात्र रहते है, लेकिन यहां एक ही बोर पम्प होने के कारण सभी को पर्याप्त पानी नही मिल पाता है। पानी नही होने के कारण बालिका शौचालय के लिए खुले मैदान में डिब्बा लेकर जाती है। जबकि इन बालिका को परिसर से बाहर नही निकलना चाहिए। बावजूद जिम्मेदार के ध्यान नही देने के कारण छात्रवास की बालिकाओं को शौच के लिए खुले में जाना पड़ रहा है। बालिकाओं को बाहर शौच के लिए जाने में अधिक परेशानी हो रही है। एक बोर  पम्प से चारो हॉस्टल में पानी जाता है। इसके कारण किसी भी छात्रवास, आश्रम को पर्याप्त पानी नही मिल पाता है। कई बार नहाने तक कि दिक्कत हो जती है। पानी नही मिलने के कारण बच्चे नहाते नही है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कोई ध्यान नही दे रहे है। जबकि अधिकारियों को इसी सूचना दी जा चुकी है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नही
वनांचल होने के कारण चारो तरफ जंगल है। यहां बालक बालिका का आश्रम व छात्रवास लगा हुआ है। लेकिन बालिका आश्रम में सुरक्षा के हिसाब से कुछ भी नही है। रात में केवल चौकी दार रहता है। जबकि महिला पुलिस की भी ड्यूटी नही लगाई गई है। अधिच्छिक भी लापरवाही बरत रहे है। वे बालिकाओं को बाहर निकलकर खेलने दे रहे है। वही शौच के लिए भी जंगल की ओर जाते है। जिससे कभी भी किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने की आंशका बनी रहती है।

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