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Chhattisgarh

संपादक संजय चौबे की कलम से, जानिए क्या है पंजशीर का सच

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भिलाई। तालिबान के खौफ में जी रहे अ​फगानिस्तान के लोगों को अभी भी पंजशीर घाटी के लड़ाकों से जीत की आस है। लेकिन आप जानते है कि आखिर पंजशीर घाटी क्या है। दरअसल राजधानी काबुल से 150 किलोमीटर दूर हिंदूकुश पहाड़ों के नीचे यह क्षेत्र स्थित है। यहां एक पंजशीर नदी भी है। इसी के नाम पर घाटी को पंजशीर नाम मिला है। हिंदू मिथकों की मानें तो पुराणों में यह पंचमी नदी के नाम से जानी जाती थी। बाद में फारसी-अरबी भाषा के प्रभाव में मीठे पानी ये दरिया पंजशीर बन गया। गांधार के नाम के साथ अफगान के इन इलाकों का जिक्र भी कई पौराणिक कथाओं में हुआ है।
बताया जाता है कि अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद को ‘पंजशीर के शेर’ के उपनाम से बुलाया जाता था। वे एक मुजाहिदीन कमांडर थे जिन्होंने सोवियत रूस और तालिबान दोनों की सेनाओं को पंजशीर पर क़ब्ज़ा करने से रोक दिया था।
अफ़ग़ान सेना के एक जनरल के बेटे अहमद शाह मसूद का जन्म घाटी में ही हुआ था। पंजशीर और काबुल के स्मारकों से लेकर होर्डिंग और दुकान की खिड़कियों तक में उनकी तस्वीरें अब भी पाई जा सकती हैं।

2001 में तालिबान की हार के बाद पंजशीर घाटी को एक ज़िले से बढ़ाकर एक प्रांत का दर्जा दे दिया गया. यह अफ़ग़ानिस्तान के सबसे छोटे प्रांतों में से एक है ।

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