बेरोजगारी दर में कमी पर जबरन अपनी पीठ थपथपा रही सरकार -बृजमोहन
रायपुर । विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि दिसंबर इक्कीस की रिपोर्ट पर बेरोजगारी दर में कमी को लेकर सरकार अपनी पीठ जबरिया थपथपा रही है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि सरकार लोगों को रोजगार देने के मामले में फिसड्डी साबित हुई है। सरकार कंगाल है और आंदोलन से धरना स्थल भरे हुए हैं, सलेक्शन होने के बाद भी सरकारी भर्ती पर रोक लगी हुई है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों सेन्ट्रल फार मानीटरिंग इंडियन इकॉनामी प्राइवेट लिमिटेड (सीएमआईई) के जारी आंकड़ों में दिसंबर इक्कीस के एक महीने में छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर देश में चौथे स्थान पर आई है जबकि यह रिपोर्ट हर महीने प्रकाशित होती है। अगर हम दूसरे महीनों में देखें तो यही आँकड़े कुछ और कहते हैं। छत्तीसगढ़़ जैसे छोटे राज्य की तुलना देश से करना हास्यस्पद है। अपने शंकर नगर निवास पर पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने कहा कि असल में जो रिपोर्ट आई है वह केन्द्र सरकार के मनरेगा में दिये जाने वालों रोजगारों के कारण निर्मित हुई है क्योंकि रिपोर्ट में अकुशल और कुशल दोनों तरह की बेरोजगारी को शामिल किया गया है। राज्य में कुशल बोरोजगारी चरम पर है। सरकार भर्ती का विज्ञापन छपवाती है। साक्षात्कार लेती है परंतु भर्ती नहीं होती है। अपने दावों के समर्थन में उन्होंने कालेज के प्राध्यापकों को उदाहरण दिया। उन्होंने दावा किया कि सरकार बताए कि आखिर उन्होंने कितनी सरकारी नौकरी दी है। इसे सबके सामने प्रदर्शित करे। उन्होंने कहा वास्तव में सरकार दिवालिया हो चुकी है। तनख्वाह के पैसे बांटने के लाले पड़े हैं, कर्मचारी वर्ग नाखुश है और सरकार जबरिया अपनी पीठ थपथपा रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार का तो यह आलम है कि दो साल बाद इनकी सरकार चली जाएगी तब भी लोगों की भर्ती होना संभव नहीं है।