शासन की नरवा, गरवा, घुरवा योजना सफलता की कितनी सीढ़ी पार की वह सड़कों पर डेरा जमाये मवेशी बंया कर रही है
तिल्दा-नेवरा। मवेशियों का सड़कों पर जमवाड़ा एवं उनसे होने वाली दुर्घटना कहा जावे तो कोई नई बात नहीं है शासक बदलते रहे नयी नयी योजनाओं को लागू किया गया लेकिन अधिकांशतः ये योजनाएं जमीनी स्तर से क्रियान्वयन होने के बजाय कागजों में सिमट कर रह गया या फिर भ्रष्टाचार का भेंट चढ गया हालिया में यही दशा नरवा गरवा घुरवा योजना की हो रही है पंचायतों में लाखों रूपयों की लागत से गोठानो का निर्माण किया गया है लेकिन यह योजना सफलता की ऊंचाइयों पर पहूचने के पहले जमीन पर गिरती नजर आ रही है गोठानो में जहां मवेशियों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह उनके पहूच से बाहर हो गए हैं मवेशियों का गोठानो में बसेरा होनी चाहिए वह सड़कों पर डेरा जमाये बैठे रहते हैं जिनके चलते आये दिन लोगो को गंभीर दुर्घटना के शिकार होने की खबरें मिलती रहती है इस मामले पर संजीवनी रक्त दाता संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह चौहान ने कहा कि शासन तो जनहितैषी योजनाओं को जनता के नाम परोस देती है लेकिन कथित योजनाएं को अमल में लाने के पहले ही भ्रष्टाचार रूपी अजगर का निवाला बन जाता है भ्रष्टाचार की अथाह गहराई के चलते योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के पहले ही गहराई में ही समा जाते हैं । उन्होंने कहा कि पंचायतों में लाखों रूपयों की शासकीय खर्च से गोठानो का निर्माण किया गया है फिर भी मवेशियों को सुविधाओ का दरकार है मवेशिया जहां सुविधायुक्त माहौल में सुरक्षित होनी चाहिए वहां पर सन्नाटा छाया हुआ रहता है वहीं मवेशिया बीच सड़कों को ठिकाना बना लेते हैं और लोग अधिकतर इन्हीं कारणवश दुर्घटना के शिकार होकर मौत का आगोश में समा जाते हैं ।
“शैलेश राजपूत की रिपोर्ट”