यदि अधिकारियों में जरा भी नैतिकता है और बच्चों की भविष्य को लेकर जरा भी चिंता है तो तुरंत बंद कर दे सरस मेला

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“दीपक ठाकुर की रिपोर्ट”

कवर्धा। बड़े ही आश्चर्य की बात है कि जिले के सबसे बड़े अधिकारी से लेकर सभी लोग सरस् मेला का आनन्द ले रहे है। लेकिन स्कूली बच्चों के भविष्य को लेकर जरा भी चिंता नही है।यदि जिले के अधिकारियों को जरा भी नैतिकता है और बच्चों के भविष्य की जरा भी चिंता है तो आज ही सरस् मेला तुंरत बंद कर दे या मेला में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम को स्थगित कर देना चाहिए। दरसअल वर्तमान में दसवीं और बारहवीं साथ ही लोकल की परीक्षा के तारीखों का भी ऐलान हो चुका है, लेकिन अधिकारियों को इससे कोई लेना देना नही गया। तभी तो रात 11-12 बजे तक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जबकि मेला व्यपारियों से सजा है, अधिकारी चाहे तो मेला बिना साउंड के रखा जा सकता है और कार्यक्रम को स्थगित किया जा सकता है, लेकिन ऐसे न कर कार्यक्रम हो रहे है यहां अधिक बेस पर साउंड सिस्टम चल रहा है अधिक आवाज के कारण स्कुली बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।मेला स्थल से 100 मीटर दूरी पर 3 हॉस्टलअधिकारियों नर मानो बच्चों की पढ़ाई व उनके भविष्य से मुंह ही मोड़ लिया है। जबकि मेला स्थल से 100 मीटर की दूरी पर 3 छात्रावास संचालित है और 5 से अधिक कोचिंग सेंटर चलते है। जबकि शाम 5 बजे मेला स्थल पर कार्यक्रम की शुरुआत हो जाती है जहां अधिक कोलाहल होता रहता है। मेला स्थल से मात्र 100 मीटर की दूरी पर प्री मेट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास, कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास व 5 से अधिक कोचिंग सेंटर है जहां पढ़ने वाले बच्चों को परीक्षा की दिनों में अधिक परेशानी हो रही है।

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