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Chhattisgarh

राजीव भवन में इंदिरा गांधी शहीद दिवस एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती सादगी व गरिमा के साथ मनाई गई

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”सुभाष रतनपाल की रिपोर्ट”

जगदलपुर/बस्तर। जिला कांग्रेस कमेटी शहर के द्वारा राजीव भवन में इंदिरा गांधी बलिदान दिवस इंदिरा गांधी बलिदान दिवस और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती गरिमा और शादी साथ मनाई गई कांग्रेसियों ने छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
तत्पश्चात अपने उद्बोधन में जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजीव शर्मा ने देश के दोनों महान नेताओं की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इंदिरा गांधी विश्व की महान महिला नेताओं में से एक थी भारत की प्रथम प्रधानमंत्री तथा पंडित जवाहरलाल नेहरु की सुपुत्री थी दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास, सहज निर्णय, अनुशासन प्रियता, राजनीतिक कुशलता तथा कुशल नेतृत्व के बल पर वह विश्व के राजनीतिक पटल पर एक सशक्त तथा अविस्मरणीय राजनेता के रूप में सम्मानित हुई थी 21 वर्ष की अवस्था में इंदिरा गांधी कांग्रेस के सदस्य बनी पंडित नेहरू के निधन के बाद वे तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के अनुरोध पर मंत्रिमंडल में सूचना प्रसारण मंत्री बनी श्री लाल बहादुर शास्त्री की आत्मा आकस्मिक निधन के बाद 19 जनवरी 1966 को सर्वसम्मति से इंदिरा गांधी को देश के प्रधानमंत्री चुना गया उनका व्यक्तित्व के प्रधानमंत्री बनने पर अद्वितीय अभूतपूर्व एवं महान था इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा दिया था और महात्मा गांधी ने इस देश को आजादी दिलवाई थी इसके बाद इसी श्रृंखला में 1971 में भारत-पाक युद्ध में शानदार विजय दिलाने तथा विश्व मंच पर भारत की गरिमा को चार चांद लगाने का श्रेय श्रीमती इंदिरा गांधी को जाता है इंदिरा जी के व्यक्तित्व में दूरदर्शिता ओजस्विता और साहस का अद्भुत समन्वय मिलता है इंदिरा गांधी अपने पिता से भी अधिक साहसी और सूझ- भुझ की धनि थी उन्होंने विश्व मंच पर अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किए थे वह विकासशील देशों की अग्रणी नेता तो थी ही विकसित देश भी श्रीमती इंदिरा गांधी की राय को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते थे वे अपने समय की सर्वोच्च राजनीतिज्ञ थी उन्होंने अपनी बुद्धि कौशल तथा साहस से यह सिद्ध कर दिया था कि नारी भी विश्व की गौरव गरिमा में बहुमुखी तथा चहुमुखी वृद्धि कर सकती है। श्री शर्मा ने उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल की जयंती पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वल्लभ भाई झावेर भाई पटेल जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे वह एक भारतीय राजनीतिक थे उन्होंने भारत के पहले उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया वेद भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया भारत और अन्य जगहों पर उन्हें अक्सर हिंदी उर्दू और फारसी में सरदार कहा जाता था उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृहमंत्री के रूप में कार्य किया देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना विश्व के इतिहास में एक भी ऐसा व्यक्ति ना हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो उनको पूरा देश राष्ट्रीय एकता के जीवन से मनाता है पटेल ने इंग्लैंड से वकालत पड़ी और उसके बाद सन् 1913 में भारत लौट आए जल्दी ही उन्होंने यहां अपनी वकालत जमाली सरदार महात्मा गांधी के सत्याग्रह से काफी प्रभावित थे सन् 1918 में गुजरात की खेड़ा में सूखे की वजह से किसान कर्ज देने में असमर्थ हो गए थे ऐसे में उन्होंने करो अपने राहत की मांग की थी जिसे अंग्रेज सरकार ने खारिज कर दिया था ऐसे में महात्मा गांधी के निर्देश पर उन्हें खेड़ा में सत्याग्रह की अगुवाई की पटेल के नेतृत्व में किसानों के प्रदर्शन के आगे सरकार को झुकना पड़ा करों में रियायत देनी पड़ी सरदार की अद्भुत, कूटनीतिक, कौशल और नीतिगत दृढ़ता की वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें लौह पुरुष कहा था लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है बिस्मार्क में जर्मन साम्राज्य की स्थापना में मां की भूमिका निभाई उन्होंने न केवल देश के एक ही कर्म में अहम योगदान दिया बल्कि अपने सिद्धांतों से भी कभी समझौता नहीं किया वह कल्पना में नहीं यथार्थ में यकीन रखते थे पटेल में इन्हीं सब गुणों को देखकर उन्हें भारत का बिस्मार्क कहा गया।
संसदीय सचिव/विधायक रेखचन्द जैन ने कहा कि प्रियदर्शनिय इंदिरा का नाम किसी तार्रुफ़ का मोहताज नही उनके राजनीतिक कार्यकाल को भुलाया नही जा सकता भारत सपनों को साकार करने में कोई समझौता नही किया उनका हर कदन देश अमन शांति व खुशहाली और उन्नति के लिए उठा गरीबी हटाओ का नारा उन्ही की देन है महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये, पिता जवाहर लाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे. वही दौर रहा, जब 1919 में उनका परिवार बापू के सानिध्य में आया और इंदिरा ने पिता नेहरू से राजनीति का ककहरा सीखा. मात्र ग्यारह साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की वानर सेना बनाई. 1938 में वह औपचारिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं और 1947 से 1964 तक अपने प्रधानमंत्री पिता नेहरू के साथ उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। वर्ष लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। वहीं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है “प्रमुख” उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया जिन्होंने इस देश की एकता व अखण्डता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी उन्हें सादर नमन।
महापौर सफीरा साहू ने कहा कि सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री हो सकते थे लेकिन महात्मा गांधी के निर्देश पर उन्होंने इस दावेदारी से अपना नाम वापस ले लिया था और जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने थे सरदार पटेल का जीवन बेहद सादगी भरा था बताया जाता है कि उनके पास खुद का मकान तक नहीं था और वह अहमदाबाद में एक किराए के मकान में रहते थे भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में रहे नर्मदा नदी की गोद में बनी सरदार की यह प्रतिमा को संसार की सबसे ऊंची मूर्ति होने का श्रेय प्राप्त है सरदार पटेल को भारत की राजनीतिक एकता की स्थापना के लिए खास तौर पर जाना और याद किया जाता है सरदार पटेल की जयंती को सारा देश एकता दिवस के रूप में मनाता आया है इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार तीन पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रही और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनीतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रही उन्होंने न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रही बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी एक प्रभाव छोड़ गई इनका जन्म नेहरू खानदान में हुआ था भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की चौथी पुत्री थी इंदिरा गांधी अपनी प्रतिभा और राजनीति जीविता के लिए विश्व राजनीति के इतिहास में जानी जाती है और इंदिरा गांधी को लोग महिला के नाम से संबोधित किया जाता है वह भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थी।
प्रमुख वक्ताओं में सभापति कविता साहू, प्रदेश महामंत्री यशवर्धन राव, जिला महामंत्री अनवर खान आदि ने भी उनकी जीवनी पर प्रकाश बाला और उनके कार्यकाल को अविस्मरणीय बताया जिन्होंने भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी सतपाल शर्मा ने किया।
यह रहे मौजूद..
अंगद प्रसाद त्रिपाठी,सुरेंद्र झा,हरिशंकर सिंह,हेमू उपाध्याय,शहनवाज़ खान, योगेश पाणिग्राही,अवधेश झा,तुला राम,महेश ठाकुर, पापिया गाईन,अंकित सिंह,हेमन्त कश्यप,सामेल नाग,उपेंद्र बांदे, सोनारू नाग,कमलेश पाठक, नीला,एम वेंकट राव,संतोष दास,मेरी नाग,तन्तिपा कश्यप,महेश द्विवेदी,संदीप दास, खिलेंद्र,राजेन्द्र दास,सारण, पूरन, तारा सहित सेवादल,युवक कांग्रेस,महिला कांग्रेस, एनएसयूआई, मोर्चा,प्रकोष्ठ के पदाधिकारी व कार्यकर्तागण उपस्थित थे।

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