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जांजगीर-चांपा जिला गोमूत्र खरीदी में पूरे प्रदेश में अव्वल, गोमूत्र से बने उत्पाद के विक्रय से स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कमाया 82 हजार 500 रूपए

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“सुरेश यादव की रिपोर्ट”

जांजगीर-चाम्पा। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने, कृषि की लागत को कम करने और रासायनिक कीटनाशकों का खेती किसानी में कम से कम उपयोग करने के लिए लगातार सार्थक पहल किया जा रहा है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर 28 जुलाई, हरेली पर्व से पूरे प्रदेश में गोमूत्र की खरीदी 4 रुपए प्रति लीटर की दर से की जा रही है। हरेली पर्व से शुरू हुए गोमूत्र खरीदी कार्य में जांजगीर-चांपा जिला अब तक 5 हजार तिरानवे लीटर की खरीदी के साथ पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। इसके साथ ही कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा के कुशल मार्गदर्शन में जांजगीर-चांपा जिले में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोमूत्र से जीवामृत और ब्रह्मास्त्र कीटनाशक बनाकर अपने आय के स्रोत में वृध्दि कर रही है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी और बेहतर हो रही है। जिले में स्व सहायता समुह की महिलाओं ने गोमूत्र से बने उत्पाद बेचकर लगभग 82 हजार रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी हैं। रासायनिक कीटनाशक के जगह गोमूत्र से बनने वाले उत्पाद जीवामृत और ब्रह्मास्त्र खेती किसानी के लिए ज्यादा फायदेमंद है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है। गोमूत्र खरीदी और गोमूत्र से कीटनाशक निर्माण किए जाने से स्व सहायता समूह की महिलाओं को भी आय का एक नया जरिया प्राप्त हुआ है। इसके तहत जांजगीर- चाम्पा जिले के दो गोठान विकासखंड अकलतरा के तिलाई एवं विकासखंड नवागढ़ के खोखरा गोठान में गोमूत्र खरीदी का कार्य किया जा रहा है। तिलई गोठान में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोमूत्र से 200 लीटर जीवामृत और 721 लीटर ब्रह्मास्त्र बनाकर 646 लीटर उत्पाद बेचकर कुल 30 हजार 300 रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी है। इसी प्रकार खोखरा गोठान में सागर स्व सहायता समूह की महिलाएं गोमूत्र से अब तक 724 लीटर ब्रह्मास्त्र और 400 लीटर जीवामृत के उत्पाद बेचकर 52 हजार 200 रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि गोठान के माध्यम से अब तक केवल गोबर खरीदी कर और उससे बने उत्पाद बेचे जा रहे थे लेकिन अब गोमूत्र का उपयोग कर उत्पाद तैयार करने से आय के नए स्रोत का सृजन हुआ है। ब्रह्मास्त्र का उपयोग कीटनाशक और जीवामृत वृद्धिवर्धक के लिए है फायदेमंद उप संचालक कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रह्मास्त्र का निर्माण नीम, धतूरा, बेसरम, आंक, सीताफल और गोमूत्र के मिश्रण से पूरी विधि अनुसार किया जा रहा है तथा इसका प्रयोग खेतों में कीटनाशक के रूप में किया जा रहा है। जीवामृत के छिड़काव से पौधे में वृद्धि होगी। गोमूत्र से बने कीटनाशक बाजार में मिलने वाले पेस्टिसाइड का बेहतर और सस्ता प्राकृतिक विकल्प है और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है। वर्तमान में जीवामृत 40 रुपए प्रति लीटर की दर से और ब्रह्मास्त्र 50 रुपए प्रति लीटर की दर से विक्रय किया जा रहा है।जांजगीर-चांपा जिला प्रदेश में गोमूत्र खरीदी में है प्रथम स्थान पर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए हरेली पर्व से गोठनों में गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। जिसके तहत जांजगीर-चांपा जिला अब तक 5 हजार 93 लीटर गोमूत्र खरीदी के साथ प्रथम स्थान पर है। इसी प्रकार 2 हजार 9 सौ 26 लीटर की गोमूत्र खरीदी के साथ कबीरधाम जिला दूसरे स्थान पर, 2 हजार 9 सौ 93 लीटर गोमूत्र खरीदी के साथ कोरिया जिला तृतीय स्थान पर है और 2 हजार 3 सौ 84 लीटर गोमूत्र खरीदी के साथ रायपुर जिला चौथे स्थान पर है।

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