कारगिल युद्ध में शहीद जवानों की याद में मनाया कारगिल दिवस, कारगिल युद्ध में जवानों के अदम्य साहस को किया याद
“नरेश भीमगज की रिपोर्ट”
कांकेर। आज 26 जुलाई को अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद द्वारा कारगिल दिवस भव्य रूप से मनाया गया।जिसमें पूर्व सैनिकों द्वारा भव्य बाईक रैली निकाल शहीद जवान अमर रहे के नारों की गूंज शहर में देखते ही बन रही थी वहीं बाईक रैली के बाद पुलिस अधीक्षक कार्यालय के मैदान में स्थित अमर शहीद स्मारक में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को रीत पुष्प व पुलिस जवानों पुलिस बैण्ड ने लास्ट पोस्ट व राउज/रिवेली की धुन बजा शहीदों के परिजनों के प्रति श्रद्धाभाव व्यक्त किया।कारगिल दिवस पर प्रकाश डालते हुए अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के संरक्षक आनंद नेताम ने बताया कि कारगिल युध्द, भारतीय सैनिकों के विरता का गवाह है, मौत सामने थी परन्तु सैनिकों ने मौत से न डर कर अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए डट कर मुकाबला कर विजय हासिल की थी। ठण्डी के मौसम में जब बर्फ अधिक गिरता है, तब वहां की तापमान 50°C तक चला जाता है, इसलिए ठण्डी के मौसम में भारतीय सैनिक उस पोस्ट को छोड़ कर बेस कैम्प में वापस आ जाती थी, तथा मई महिने में फिर से वापस जा कर पोस्ट सम्भालते थे।3 मई 1999 को एक चरवाहे ने भारतीय सेना को खबर दी कि भारतीय पोस्ट में पाकिस्तानी सैनिक हथियार लेकर दिख रहे हैं, अर्थात पाकिस्तानी सैनिकों का तोलोलिंग पहाड़ी के पोस्ट पर कब्जा हो चुका है।पाकिस्तानी सैनिकों का भारतीय पोस्ट पर कब्जा करने का मकसद था कि पोस्ट से लगी सड़क श्रीनगर, लेह और लद्दाख को जोड़ता था जो इस पोस्ट को कब्जा करने से पूरा भारत का कनेक्शन को तोड़ने की इनकी मंशा थी और यही हुआ भी जब पाकिस्तान का कब्जा भारतीय पोस्ट में होने के कारण भारत का सम्पर्क लेह-लद्दाख, सियाचिन ग्लेशियर एवं अन्य क्षेत्र भारत के कण्ट्रोल से टूट चुका था।पाकिस्तानियों और खासकर पाकिस्तान के वजिरे आलम जनरल परवेज मुसर्रफ का प्लॉन था कि जब इन क्षेत्रों में भारत का सम्पर्क टूट जायेगा तब हम भारत से अपनी बात मनवा सकते हैं और कश्मीर को आसानी से हथिया सकते हैं।5 मई 1999 को भारतीय सैनिकों का एक पेट्रोलिंग पार्टी को जानकारी लेने पोस्ट में भेजी जाती है। जानकारी लेनी चाही तो घुसपैठियों ने उन्हें पकड़ लेती है और पांच सैनिकों की हत्या कर देते हैं। यह बात भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक पहुंचती है तो फिर सेना को आदेश मिला कि पाकिस्तानी सैनिकों को वहां से खदेड़ना है, तो ऑपरेशन विजय के जरिये भारतीय सेना ने जंग की शुरूआत कर दी, लेकिन भारतीय सेना को ऊँचाई पर चढ़ना था और बर्फिला इलाका होने के कारण दिन के वक्त कुछ भी मूवमेंट नहीं कर सकते थे। जो भी मूवमेंट करना था तो रात के वक्त ही करना पड़ता था, बर्फ से भरी पहाड़ी पर चढ़ना तथा खड़ी चढ़ाई होने के कारण हमारे सैनिक शहीद हो रहे थे। ऐसे विषम परिस्थितियों में भारतीय जवानों ने अदम्य सहास के साथ दुश्मनों से डट कर मुकाबला किया।सरकार ने भारतीय वायुसेना को भी कार्यवाही करने का आदेश दे दिया, फिर उस वक्त भारतीय वायुसेना ने मिग-27 तथा मिग-29 का इस्तेमाल किया, साथ ही भारतीय सैनिकों के द्वारा बोफोर्स तोप का भी इस जंग में इस्तेमाल किया।अंत में भारतीय सैनिकों ने 26 जुलाई 1999 को टाईगर हील पर तिरंगा फहराया और भारत के निर्वतमान प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे दुनिया में जीत का ऐलान कर दिया। जिसके बाद से आज तक 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।इस युध्द में कुल 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए तथा 1363 सैनिक घायल हुए थे। कारगिल युद्ध मे शहीदों को शोक शस्त्र से समस्त अतिथियों द्वारा नम आंखों से श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष हेमंत ध्रुव, जिला पंचायत सद्यस्य हेमलाल मरकाम, कलेक्टर डॉ.प्रियंका शुक्ला, कांकेर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, अपर कलेक्टर सुरेन्द्र वैध, जिला जेल अधीक्षक खोमेंद्र मंडावी, कर्नल उदय कुमार, कर्नल सतीश वत्स, सूबेदार समीर दत्ता 8 सीजी स्वतंत्र एनसीसी कम्पनी, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के अध्यक्ष रवि कुमार, साहू, उपाध्यक्ष गिरीश गौतम, सचिव तकेश्वर जैन, मीडिया प्रभारी नुरेश गंगबेर सहित गणमान्य नागरिक अजय पप्पू मोटवानी, राजगोपाल कोठारी, अजय चोपड़ा, दशरथ पटेल, मुकेश खटवानी, लतीफ मेमन, हरीश साहू, अजय गुप्ता, निजाम खान, ओमप्रकाश साहू, राजेश यादव, राजेश जैन, मोहन साहू, थनवार साहू, नूर अली, पुरुषोत्तम नागवंशी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डाइट एवं एनसीसी बच्चों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।