धान की फसलों पर पत्तीमोड़ का हमला, किसान महंगी दवाएं छिड़काव करने विवश
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । अंचल में इन दिनों पत्तीमोड़ बीमारी का हमला धान की फसलों पर हो गया है जिसके कारण किसान कृषि दवाई दुकानों में जाकर महंगी दवा खरीद कर लाने के लिए विवश है क्योंकि धान की फसल कमर से भी आगे बढ़ गए हैं अर्थात बड़े पौधों पर दवाई का छिड़काव करना भी बहुत मुश्किल भरा काम होता है ऐसे में भी किसान बीमारी से निजात पाने के लिए तरह-तरह के दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में हुई बारिश ने फसलों के लिए रामबाण सिद्ध हुआ है इससे तना छेदक, शीत ब्लास्ट कम हुआ है लेकिन पत्ती मोड का हमला तेज हो गया है जिससे किसानों की नींद हराम हो गई है। बताना जरूरी है कि पूरा क्षेत्र कृषि पर आधारित है बड़ी संख्या में धान की फसल लगाई गई है। ओर से लेकर छोड़ तक धान की फसल ही दिखाई देते हैं ऐसे में किसानों की कड़ी मेहनत किसी से छिपी नहीं है। कहीं-कहीं पर धान की बालियां भी निकल आई है। किसान इस समय अपने खेतों की देखभाल में लगे हुए हैं। प्रतिदिन फसलों की निगरानी कर रहे हैं। दवाई का छिड़काव कर रहे प्रभु सोनकर ने बताया कि पत्ती मोड़ का प्रभाव तेज हुआ है। जिससे निजात पाने के लिए महंगी से महंगी दवाइयां का छिड़काव किया जा रहा है। दूसरी ओर करगा इत्यादि को भी निकालने में लगे हुए हैं।
कौन है ग्राम सेवक पता नहीं
चौबेबांधा के किसान लीला राम साहू ने बताया कि ग्राम सेवक कौन है पता नहीं है। कृषि विभाग को इस समय किसानों के पास आकर उन्हें फसलों की देखभाल किस तरह से करनी है इनकी जानकारी देनी चाहिए लेकिन विभागीय अधिकारी कर्मचारी को कृषकों की कोई चिंता नहीं है। यहां ना ही कृषि विभाग कोई शिविर लगाता है और न ही कहीं कोई जानकारी उपलब्ध कराई जाती है इससे हम किसान बहुत नाराज है। इसी तरह से कुछ और किसानों से पूछा गया उन्होंने भी नहीं बता पाए की ग्राम सेवक कौन है। जब इन किसानों को अंतिम स्तर पर जानकारी देने वाला विभागीय अधिकारी ही नहीं है यह चिंता का विषय बन गया है।
दीपावली तक हो जाएंगे कटाई शुरू
नवरात्र पर्व आज से शुरू हो रहा है 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उसके बाद दसहरा के साथ ही 20 दिनों के बाद दीपावली का त्यौहार आता है अर्ली वैरायटी के धान में अभी से बलिया आ गई है इन्हें दीपावली के पहले काटा जाएगा। दीपावली के बाद तो पूरी तरह से ध्यान पक जाएंगे और किसान धान कटाई में ही पूरा समय देंगे।
फसलों को बचाने कर रहे किसान जतन
निराई गुड़ाई के बाद फसलों को बचाने के लिए किसान पूरी तन्मयता के साथ लगे रहते हैं बीमारी लगते ही उनके उपचार करते हैं इसमें चाहे जितने भी पैसे खर्च हो जाए वह उनका गम नहीं करता उन्हें अच्छी फसल की ही दरकार होती है। वैसे इस बार बारिश अच्छी हुई है फसल भी अच्छी होने की उम्मीद है।