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Chhattisgarh

सांसद ने कहा-जनसंख्या होगी तो राजिम जिला जरूर बनेगा,कांग्रेस जिला अध्यक्ष साहू ने कहा सांसद को राजिम के इतिहास मालूम नहीं

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। प्रसिद्ध प्रयाग नगरी राजिम को जिला बनाने के संबंध में अब राजनीति गरमाती नजर आ रही है। रविवार को महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू के बयाना में आने के बाद उन्होंने दूसरे दिन यू-टर्न लेते हुए अपनी बातों को स्पष्ट कर दूरभाष पर बताया कि जिस समय गरियाबंद जिला बना उस समय मैं सक्रिय राजनीति में नहीं था। विधायक ना सांसद और न ही कोई बड़ी जिम्मेदार पद पर आसीन था। उस समय के तत्कालीन दोनों विधानसभा के नेताओं को दबाव बनाना था कि की नामकरण राजिम गरियाबंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजिम सभी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं यह आस्था का केंद्र है। देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग यहां दर्शन, पूजन, तर्पण, अस्थि विसर्जन आदि के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धा की तार इस नगरी से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरे कहने का मतलब स्पष्ट है कि जनसंख्या होगी तो जरूर जिला बनेगा। वैसे राज्य सरकार जिला बना सकती है। इसके लिए विकासखंडों को जोड़ा जाता है लेकिन विकासखंड केंद्र के हाथ में हैं। राजिम, फिंगेश्वर, नवापारा, अभनपुर तथा मगरलोड के कुछ हिस्से को मिलाकर जिला बनाया दिया जा सकता है। इधर शहर में उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रीय कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भावसिंह साहू ने कहा कि हमारे लोकसभा क्षेत्र के सांसद को राजिम के इतिहास के बारे में मालूम नहीं है कहना होगा कि बिलासा बाई के नाम से बिलासपुर को जिला बनाया गया है तो राजिम माता के नाम से राजिम क्यों जिला नहीं बन सकता। राजिम माता की त्याग तपस्या एवं समर्पण की कहानी सर्वविदित है। उन्हीं के नाम से ही इस शहर का नाम राजिम पड़ा हुआ है। चाहे वह साहू समाज, मरार समाज, सतनामी समाज, निर्मलकर समाज, ध्रुव समाज, सोनकर समाज, कुर्मी समाज, सेन समाज, निषाद समाज, ब्राह्मण समाज, राजपूत समाज, यादव समाज सभी समाज का राजिम में महासभा एवं बैठक के होती है इनके साथ ही युवक युवती परिचय सम्मेलन आदि के लिए पूरे छत्तीसगढ़ से लोग यहां आते हैं और रुक कर समाजिक मेल मिलाप करते हैं यह भूमि सामाजिक मिलन के साथ ही सांस्कृतिक एवं धार्मिकता का बोध कराती है। देशभर में जितने प्रमुख तीर्थ नगरी हैं वह सभी जिला मुख्यालय के रूप में अस्तित्व में आ चुके हैं। प्रयाग, उज्जैन, कांची, कांशी, अमरकंटक, पुष्कर, गया, द्वारिका इत्यादि उनके धार्मिक महत्व को देखते हुए उन्हें राजस्व जिला का दर्जा मिला हुआ है जबकि राजिम नगरी अत्यंत प्राचीन है। सतयुग के जमाने से कींवदंतियां त्रेता में रामचंद्र लक्ष्मण एवं सीता के साथ लोमस ऋषि से मिलने पैदल चलते हुए राजीव पहुंचने का इतिहास मिलता है इनके साथ ही द्वापर युग ने राजीवलोचन मंदिर के जीर्णोद्धार तथा कल्चुरी कालीन शिलालेख यहां के मंदिरों में मौजूद है इतनी प्राचीन नगरी होने के बाद अभी तक राजिम का जिला नहीं बनना चिंता का विषय बन गया है। नहीं आया थी राजीव जिला बनने के काबिल रखते हैं। संसद का बयान कोरी कल्पना है इससे यहां के लोगों की जन भावना को ठेस पहुंची है। कांग्रेस के प्रशासनिक महामंत्री विकास तिवारी, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रूपेश साहू आदि कांग्रेस नेताओं ने सांसद के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि राजीव राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ला अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। संत कवि पवन दीवान जेल मंत्री बने थे तथा विद्याचरण शुक्ल महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से 7 बार सांसद चुनकर केंद्र के अनेक कैबिनेट मंत्री पद पर प्रतिनिधित्व किया है पश्चात अमितेश शुक्ल छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री बने हैं इनके साथ ही अजीत जोगी यहां के सांसद भी रह चुके हैं राजनीति दृष्टिकोण से राजिम का एक विशेष स्थान है जिला बनाने की मांग बिल्कुल सही है।

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