निजी के बदले शासकीय भूमि देने की आपत्ति, चौबेबांधा पंचायत के ग्रामसभा में ग्रामीणों ने एक स्वर में आपत्ति दर्ज कराई
राजिम । चौबेबांधा ग्राम पंचायत में दिन गुरुवार को विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया गया। सुबह से ही लाउडस्पीकर पर मुनादी कर दी गई। बात फैलती गई और सुबह 11:00 बजे गांव वाले पंचायत भवन पर एकत्रित हो गए। सरपंच दुलीचंद आंडे के अध्यक्षता में ग्रामसभा की कार्यवाही शुरू हुई जिसमें उपस्थित उपसरपंच धनेंद्र साहू, वार्ड पंच भगेश्वर साहू, उधोराम पाल, जीवन साहू, मंगलीन मांड्रे, रमशीर आंडे, मालती साहू, पिंकी यादव, श्यामा चेलक, चंद्रिका सोनकर, कांति जांगड़े, सावित्री ध्रुव सहित ग्राम वासी चंदू आंडे, चमन साहू,नकछेड़ा साहू, लीलाराम साहू, बरात चेलक, हेमंत साहू, देव अंडे, पंचराम पाल, मंसाराम सोनकर, डूमन सिंह ठाकुर, द्वारका धृतलहरे, बालाराम साहू, दूखूराम सोनकर, सुरेश सोनकर, बलीराम देवांगन सहित सैकड़ों लोग उपस्थित हो गए और पंचायत के कार्यवाही पर बात रखें। जिसके अंतर्गत बताया गया की न्यायालय अपर कलेक्टर जिला गरियाबंद द्वारा जारी 22 अप्रैल के ज्ञापन पर पंचायत प्रस्ताव की बात कही गई है जिसमें राजिम निवासी लालचंद मेघवानी पिता ताराचंद मेघवानी अपने पंडरीतराई स्थित खसरा नंबर 24 का भाग रकबा 1.17 हेक्टेयर भूमि का तबादला कर चौबेबांधा के शासकीय भूमि की मांग पर कड़ा एतराज करते हुए सैकड़ों लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई तथा कहा कि यह भूमि पशुओं के लिए चारागाह तथा ग्रामीण देवस्थल है। खासतौर से निस्तारी भूमि है जिसके कारण किसी भी व्यक्ति को भूमि दिया जाना संभव नहीं है इसलिए हम सभी ग्रामवासी लालचंद मेघवानी पिता ताराचंद मेघवानी को यह भूमि देने से आपत्ति करते हैं। मौके पर सरपंच दुलीचंद आंडे ने बताया कि राजिम माघी पुन्नी मेला के लिए भूमि आरक्षित करने से चौबेबांधा के भूमि भी आरक्षण में आ गए हैं जिसके कारण चरागाह एवं अन्य निस्तारी समस्या उत्पन्न हो गई है। किसी भी परिस्थिति में इस भूमि को किसी व्यक्ति को देने पर ग्रामवासी मना कर रहे हैं मैं खुद आपत्ति कर रहा हूं। आज के विशेष ग्राम सभा में गांव वालों ने आपत्ति दर्ज किया है। कहना होगा कि आज के विशेष ग्राम सभा विशेष रूप से चहल-पहल देखी गई गांव की एकता उभर कर सामने आए और लोग गांव की जमीन को बचाने के लिए आगे आ गए। उल्लेखनीय है कि चौबेबांधा शहर से लगा हुआ गांव है। राजिम माघी पुन्नी मेला के लिए राजिम चौबेबांधा पैरी नदी के तट पर 54 एकड़ से भी अधिक भूमि को आरक्षित किया गया है जिसके कारण गांव में निस्तारी समस्या उत्पन्न होती जा रही है ऐसे में ग्रामीण अपने गांव की भूमि किसी दूसरे व्यक्ति देने आपत्ति करने काम-धाम छोड़कर उपस्थित हुए।