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माघी पुन्नी मेला को बचे मात्र 85 दिन, नवीन मेला स्थल पर काम शुरू नहीं

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला 5 फरवरी एवं महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी 2023 को है इस लिहाज से मात्र 85 दिन शेष बचे हुए हैं। 2 महीने 25 दिन में नवीन मेला ग्राउंड पर काम कैसे होगा। नवीन मेला स्थल पर मेला किस तरह से लगेगा लोगों में संशय बना हुआ है। हर बार प्रदेश सरकार के द्वारा मुख्य महोत्सव मंच से यह घोषणा की जाती है कि आने वाले वर्ष में नवीन मेला स्तर पर माघी पुन्नी मेला लगेगा लेकिन उसके अनुरूप तैयारियां नहीं होते हैं और नवीन मेला स्थल पर मेला आयोजित होना मंच पर शोभा देने वाली बात हो गई है। अभी तक इस मैदान पर जमीन आरक्षित करने के सिवाय और कोई काम होते हुए नहीं दिख रहा है यहां तक की लेवलिंग का कार्य पिछले साल से बचा हुआ है। लगातार जिला कलेक्टर के निरीक्षण एवं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के आगमन के बाद पिछले साल 15 दिन में लेवलिंग का कार्य पूर्ण करने की बात कही गई थी परंतु अभी तक उसे पूर्ण नहीं किया गया है। बताना जरूरी है कि इस मैदान पर ढेरों काम है जिसे पूर्ण करने में ही सालों लगेंगे। जानकारी के मुताबिक इस साल के विधानसभा के बजट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजिम माघी पुन्नी मेला के लिए एक करोड़ 85 लाख स्वीकृत कराए हैं। इस पैसे की भी अता पता नहीं है। अलबत्ता कुछ महीने पहले टास्क फोर्स समिति की बैठक सुबह थी उसमें क्या हुआ पता ही नहीं चला। इधर प्रशासन के द्वारा इस बार राजिम माघी पुन्नी मेला पुराने मैदान पर लगेगा या फिर नवीन मेला मैदान पर इस बात को लेकर संशय बरकरार है। इस मैदान पर लंबे चौड़े वर्गाकार क्षेत्र को आरक्षित करने की जानकारी मिली है। इस भूमि पर झंडा भी लगाए गए थे। उत्सुकता बस लोग नवीन मेला ग्राउंड को देखने के लिए आते हैं लेकिन यहां पर कोई काम नहीं होते देख लोग मायूस होकर अपने गंतव्य को चले जाते हैं अभी तक मात्र हो हव्वा ही चल रही है। वैसे भी नदी की रेत पर लगने वाले इस माघी पुन्नी मेला की ख्याति लगातार बढ़ती जा रही है अब तो लक्ष्मण झूला के बनने से पर्यटकों की संख्या में एकतरफा इजाफा हुआ है। प्रतिदिन लक्ष्मण झूला के माध्यम से संगम स्थित कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर तथा स्नान दान के लिए और मंदिर दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना जाना लगा हुआ है। जनवरी में पंचकोशी यात्रा होते हैं इसमें पांच शिवपीठों पर परिक्रमा की जाती है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश में 84 कोसी यात्रा होते हैं उसी तरह से छत्तीसगढ़ में पंचकोशी यात्रा का महत्व सदियों से हैं पांच शिव पीठ महादेव के प्रसिद्ध धरा धाम है। इस यात्रा के करने के अनेक महत्व बताए गए हैं। इसके बाद माघ महीने में श्रद्धालुओं की संख्या एकाएक बढ़ जाती है और लोग दर्शन पूजन स्नान तथा अन्य कृत्य में लगे रहते हैं। वर्तमान में राजिम माघी पुन्नी मेला के लिए जिला प्रशासन भी चुपचाप बैठे हुए हैं। लोग नवीन मेला ग्राउंड पर मेला को विकसित होते देखना चाहते हैं लेकिन कब बनेगा क्लियर नहीं हो पा रहा है।

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