शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहे प्राथमिक शाला के बच्चे, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
“नरेश भीमगज की रिपोर्ट”
कांकेर। नक्सलियों के आतंक का फायदा इन दिनों अंदरूनी क्षेत्रों के शिक्षक बखूबी उठा रहे है, लोगों का कहना है कि मॉनिटरिंग करने वालों की भी ऐसे लापरवाह शिक्षकों को पूरा-पूरा संरक्षण है तभी तो इस क्षेत्र के कुछ प्राथमिक शालाओं के शिक्षक अपनी सेवा स्कूल में न देकर बच्चों के भविष्य के साथ तो खिलवाड़ कर ही रहे है साथ ही शासन को भी बगैर सेवा दे चुना लगा रहे है। जिससे क्षेत्र के ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों का कहना है कि ऐसे शिक्षकों की तो सेवा समाप्त कर देनी चाहिए व स्थानीय बेरोजगारों को मौका देना चाहिए।यह पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत आलानार के आश्रित ग्राम प्राथमिक शाला कोतकोड़ो का है जहाँ ग्रामीणों ने शिक्षकों की लापरवाही को देखते हुए बैठक भी रखा गया व ग्रामीणों का कहना है कि प्राथमिक शाला कोटकोडो में दो शिक्षक पदस्थ है जिसमें हातिम बोहरा एवं ललित कुमार जूर्री और दोनों ही शिक्षक पिछले दो वर्षों में दो से तीन महीने में एक बार अपनी हाजिरी देकर कई महीनों तक गायब रहते है। यहाँ गौर करने वाली बात यह है किबच्चों की उपस्थिति पंजी में स्कूल खुलने से लेकर अब तक हाजरी तक नहीं भरा गया है। वहीं शिक्षकों की लापरवाही के चलते पिछले दो वर्षों से मध्याहन भोजन से भी बच्चों को वंचित होना पड़ रहा है।ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि शिक्षक भूले भटके स्कूल आ भी जाते है तो गांव बस्ती में शराब पीने घूमते रहते है। जिससे स्कूल में बच्चों का पढ़ाई नहीं हो पाता।इस सबन्ध में इन शिक्षकों की कई बार शिकायत ग्रामीणों द्वारा अंतागढ़ खंड शिक्षा अधिकारी से की गई है किंतु इन पर कार्यवाही के बजाये अधिकारी उनका हर महीने तनख्वाह देकर उनका उत्साह वर्धन करने में मस्त है ऐसा प्रतीत होता है जैसे शिक्षकों को खण्ड शिक्षा अधिकारी का खुला समर्थन है। जिस पर भी उचित कार्यवाही होनी चाहिए कि ऐसे लापरवाह शिक्षकों पर कार्यवाही के बजाये समर्थन क्यों किया जा रहा है।अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा का हाल इस कदर बदहाल है कि पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को अक्षर तक का ज्ञान नहीं जिसकी जिम्मेदार ऐसे शिक्षक व अधिकारी है जोकि अपनी सेवा केवल कुर्सी पर बैठ कूलर ऐसी का मजा ले रहे है व सरकार की कथनी करनी को कुछ अलग ढंग से बयां कर रहे है। और कुछ न करने के लिए इनके पास एक अच्छा बहाना यह भी है नक्सलियों के क्षेत्र होने के कारण हम वहाँ तक नहीं पहुँच पाते जबकि जिन क्षेत्रों में शिक्षा की यह अव्यवस्था है उन क्षेत्रों में जगह-जगह बीएसएफ कैम्प भी लगाये गये है।बच्चो का कहना हैं कि आज तक कभी भी हमने परीक्षा भी नही दिलाए है जनपद पंचायत सदस्य जूगेर सिंह कोमरा एवं सरपंच पति भूरसू राम का भी यही कहना है की पिछले दो सालों से शिक्षक स्कूल आते ही नहीं है, स्कूल ने शिक्षकों का चेहरा तक नहीं देखे है जल्द दोनों शिक्षकों को हटाने की मांग कर रहे है कई बार खण्ड शिक्षा अधिकारी को आवेदन दिए है पर अब तक कार्यवाही नहीं हुआ है।इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी भुवन जैन ने बताया कि ऐसे शिक्षकों पर कार्यवाही होगी ही साथ हीजिनके मोनिटरिंग में ऐसे स्कूल आते है जिनको इनकी मोनिटरिंग करनी चाहिए व अपने उच्च अधिकारियों को इससे अवगत कराना चाहिए व बैगर सेवा दिए हर महीने तनख्वाह निकालने वाले खण्ड शिक्षा अधिकारी पर उचित कार्यवाही होगी।इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया।