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Chhattisgarh

संत गुरु घासीदास ने दिया समरसता का संदेश : रोहित साहू

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । शनिवार को संत बाबा गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू क्षेत्र के अनेक गांव में अतिथि के रूप में पहुंचे और लोगों को गुरु घासीदास के संदेश हिंदी सुनाते हुए समरसता का परिचय दिया। उन्होंने सिर्रीखुर्द में जैतखाम में पालो चढाया। उनके स्वागत में पूरा गांव उमड़ गया। मुख्य अतिथि के आसंदी से जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू ने कहा कि संत बाबा गुरु घासीदास ने समरसता का संदेश दिया है। मनखे मनखे एक समान जैसे शब्द ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय हुआ बल्कि पूरा हिंदुस्तान इनके बातों का अनुसरण कर रहा है। उन्होंने छोटे बड़े सभी को बराबर का भाव दिया है। गुरु घासीदास के बताए मार्ग पर चलकर हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। वह मांस मदिरा के घोर विरोधी थे। पंथी नृत्य सतनामी समाज की देन है इस सांस्कृतिक विधा के जरिए पूरे देश में छत्तीसगढ़ की विशेष पहचान बनी है। नर्तक दलों द्वारा देश विदेश में इनकी प्रस्तुति देकर नाम कमाया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जनपद के सभापति कीर्ति गजेंद्र निषाद ने कहा कि भारत संत महात्माओं की पुण्य भूमि है। गुरु घासीदास बाबा से लेकर संत सिया भुनेश्वरी शरण व्यास जैसे संतो ने अच्छे कर्म करने के लिए हमेशा प्रेरित किया है। संत महात्मा हमारी पुरोधा है। वह हमेशा बड़ों का सम्मान तथा छोटो का आदर एवं कर्म को ज्यादा महत्व देते हैं सही बात है हम जैसे कर्म करते हैं फल हमको उसी के अनुसार मिलता है। गुरु घासीदास को रास्ते में ही आत्मज्ञान हुआ और मानव सेवा में लग गये। विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित जनपद सदस्य आशा साहू ने कहा कि गुरु घासीदास बाबा ना सिर्फ सतनामी समाज बल्कि पूरे समाज के संत है उनके दिखाए मार्ग हमेशा हम सब को प्रेरित करती है। इस मौके पर सरपंच टिकेश साहू, पूर्व सरपंच विजय कंडरा, कलीराम साहू के साथ में अनेक लोग उपस्थित थे। उक्त अवसर पर रोहित साहू के स्वागत के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा था। साहू उसके बाद बरोंडा मैं बैठकर पंथी नृत्य देखा तथा लोक नर्तक कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। सेंदर,कोमा के लोग अपने बीच में रोहित साहू को पाकर गदगद हो गए। बरोंडा में सरपंच दानेंद्र सेन, नरेश जांगड़े, मयाराम जांगड़े, नागेश्वर जांगड़े, मोहन, काशीराम जांगड़े, गणेश चक्रधारी, कृष्णा साहू, भारत निर्मलकर, परमेश्वर निर्मलकर, उत्तम बांधे सहित अनेक प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे।

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