30वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस-2022 के अंतर्गत जिला समन्वयकों एवं स्रोत शिक्षकों का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न

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रायपुर। 30वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 2022 के लिए बच्चों को तैयार करने के उद्देश्य से ’पारिस्थितिक तंत्र, स्वास्थ्य और कल्याण‘‘ विषय पर आज जिला समन्वयकों एवं स्रोत शिक्षकों की ऑनलाइन माध्यम से एकदिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन प्रशिक्षण, प्रभारी महानिदेशक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर डॉ. एस. कर्मकार, की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। प्रशिक्षण पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया था। जिला समन्वयक एवं स्रोत शिक्षक जिला एवं संभाग से ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे।
छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन जिला एवं राज्य स्तर पर प्रतिवर्ष किया जाता है। राज्य स्तर पर चयनित बाल वैज्ञानिक राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भाग लेकर अपने राज्य को गौरवान्वित करते है। यह कार्यक्रम 10 से 17 वर्ष के बच्चों को एक अवसर प्रदान करती है. जहां वे अपने वैज्ञानिक संकल्पनाओं को मुख्य विषय एवं उपविषयों पर छोटे-छोटे शोध परियोजनाओं के द्वारा प्रस्तुत करते हैं। यह कार्यक्रम बच्चों को प्रयोग, आंकड़ा संकलन, शोध, विश्लेषण एवं नवाचार प्रक्रिया से परिणाम तक पहुंचकर स्थानीय समस्याओं का समाधान करने का अवसर प्रदान करता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में समन्वयकों एवं स्रोत शिक्षकों से डॉ. एस. कर्मकार ने कहा कि पारिस्थितिक तंत्र, स्वास्थ्य और कल्याण मुख्य कथानक एवं इनके उप-विषयों से संबंधित अपने स्थानीय समस्याओं को चिन्हित कर उसके निराकरण हेतु नवाचारी परियोजनाओं के निर्माण हेतु मार्गदर्शन प्रदान करें। जो भविष्य में समाज के लिये उपयोगी साबित हो।
कार्यक्रम में वैज्ञानिक ’ई’ एवं राज्य समन्वयक डॉ. श्रीमती जे. के. राय ने राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस की रूपरेखा एवं गाईडलाईन्स के बारे में बताया। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में डॉ. के. के. साहू, डॉ. वी.के. कानूनगों, डॉ. मिताश्री मित्रा, डॉ. संध्या मदन मोहन, डॉ. एस. के. जाधव एवं डॉ. दिपेन्द्र सिंह के द्वारा मुख्य विषय एवं चिन्हित विभिन्न उपविषयों- अपने पारिस्थितिकी तंत्र को जाने; स्वास्थ्य, पोषण और कल्याण को बढ़ावा देना; पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाएं; आत्मनिर्भरता के लिए पारिस्थितिकी तंत्र आधारित दृष्टिकोणः पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य के लिए तकनीकी नवाचार पर विस्तार से प्रेजेन्टेशन प्रस्तुत किया गया। उन्होनें बताया कि बच्चों से विभिन्न चिन्हित उपविषयों पर कैसे परियोजनाएं स्थानीय समस्या के आधार पर बनाई जा सकती है। साथ ही अच्छे परियोजना प्रस्तुतिकरण पद्धति तथा मूल्यांकन प्रक्रिया से भी अवगत कराया। कार्यशाला में राज्य के 28 जिलों के 101 जिला समन्वयकों एवं स्रोत शिक्षकों ने भाग लिया।

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