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Chhattisgarh

कांग्रेस परिवार ने गरिमा व सादगी व के साथ मनाई अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी शहीद दिवस

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“सुभाष रतनपाल की रिपोर्ट”

जगदलपुर/बस्तर। जिला कांग्रेस कमेटी शहर के द्वारा आज राजीव भवन में महात्मा गांधी शहीद दिवस गरिमा और सादगी के साथ मनाई गई। महात्मा गांधी शहीद दिवस पर कांग्रेस डिजिटल सदस्यता अभियान के सन्दर्भ में संभाग मुख्यालय जगदलपुर के राजीव भवन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और छत्तीसगढ़ के सह प्रभारी मान. डॉ चंदन यादव, सप्तगिरि शंकर उल्का , प्रदेश अध्यक्षमोहन मरकाम सहित प्रदेश पदाधिकारियों के द्वारा सर्वप्रथम उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी और संभाग स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। छत्तीसगढ़ के सह प्रभारी डॉ चंदन यादव और सप्तगिरि शंकर उल्का जी ने महात्मा गांधी शहीद दिवस पर उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गांधी चेतना के चिंतन थे और चिंतन के चिंता थे वह मानते थे कि जिस देश या समाज के पास चिंतन और चेतना नहीं वज्ञान और सेवा का देश या समाज नहीं बन सकता। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने महात्मा गांधी शहीद दिवस पर अपने विचार व्यक्त कर कहा कि गांधी इस पूरी धरती का स्वाभिमान थे वे सेवा की साधना थे वह ईश्वर, देवता, अवतार कुछ नहीं थे वह तो इंसान और इंसानियत के नए संस्करण थे उन्होंने शस्त्र की ताकत को सत्य की ताकत के सामने झुका दिया, गांधी को समझा नहीं गया इसलिए गांधी को माना नहीं गांधी को मारकर राजनीति से हमने नीति को मार डाला धर्म से धर्म के आदर्श की हत्या कर दी, चरखे से उसका कर्म और हाथों से पैदा होता स्वाभिमान छीन लिया और इंजीनियरिंग कॉलेजों,मैनेजमेंट संस्थाओं,चिकिप्सा महाविद्यालयों,स्कूलों, कॉलेजों सब जगहों बेरोजगारों की ऐसी भीड़ खड़ी कर दी जिसके पास काम नही जिसके पास स्वालम्बन नही। जिला कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष राजीव शर्मा ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते बताया कि देश की आजादी के महानायक मोहनदास करमचंद गांधी को आज ही के दिन शहीद किया गया था 30 जनवरी भारत के इतिहास का अहम दिन है आज ही के दिन सन 1948 की शाम में बिरला हाउस में नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी उनकी उम्र उस समय 78 वर्ष की थी आपका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था आपने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात से हासिल की और मुंबई यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की गांधी जी ने वकालत की पढ़ाई करने के लिए 4 सितंबर 1888 को लंदन गए,सन 1893 में गांधी जी एक साल के एग्रीमेंट पर दक्षिण अफ्रीका गए वहां उन्होंने देखा कि भारतीयों के साथ बहुत ही अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है तथा वह खुद भी भेदभाव के शिकार हुए गांधी जी 1916 में भारत लौटे अपना पूरा जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित कर दिया स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण आंदोलन उनकी पहली उपलब्धि थी जिसे 1918 में शुरू किया गया था। संसदीय सचिव/रेखचन्द जैन ने कहा कि आज हमें यह याद है कि देश की आजादी के महानायक मोहनदास करमचंद गांधी को नाथूराम गोडसे ने मारा था यदि वह नहीं मार पाया तो उनके दर्शन हो शायद यही वजह थी कि हत्या से पहले वह भी उनके आगे नतमस्तक हुआ था लेकिन हमने क्या किया साल के 2 दिन उनकी प्रतिमा या समाधि पर फूल चढ़ाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली वह एक ऐसे महान नेता थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे डाली आज हमारा भारत देश युग युग तक उनका ऋणी रहेगा महात्मा गांधी ने देश की स्वतंत्रता को हासिल करने के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ 1930 में सिविल अवज्ञा आंदोलन चलाया जी से दांडी यात्रा के नाम से जाना जाने लगा उसके बाद उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया और जिसे उनके जीवन का सबसे सफल और सबसे बड़ा आंदोलन कहा जाता है अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने इस देश को संवारने में अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी आज इस देश में जो अमन और शांति है वह इन्हीं की ही देन है ऐसे कई विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद कराया जिसके कारण हम और आप खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। महापौर सफीरा साहू ने बताया कि राष्ट्र और उसकी स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी का योगदान बहुत अहम था वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अहिंसा का पाठ भारत ही नहीं पूरी दुनिया को पढ़ाया और भारत में राष्ट्र की एकता का निर्माण करने का काम किया जिसे अंग्रेजों ने तोड़ा था 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद बापू राजनीति से दूर रहे और लोगों के बीच सामंजस्य शांति और भाईचारा पर काम करना शुरू किया। जिला महामंत्री (प्रशासन) अनवर खान एवं पदाधिकारियों ने कहा कि गांधी प्रकृति भी थे पुरुष भी नैतिक भी और नेतृत्व में नीति वान भी संयम उनकी साधना थी नियम उनकी नैतिकता थी और यह उनका लोक व्यवहार था गांधी एक लोकसत्ता है यदि गांधी की लोकसत्ता सुरक्षित रखनी है तो गांधी को कंप्यूटर की किसी वेबसाइट या इंटरनेट की खिड़की में बंद करने के बजाए मैदान में उतारना होगा ईसा जिस तरह से पुनर्जीवित हो उठे थे उसी तरह हमें अपनी चेतना में गांधी को भी पुनर्जीवित करना होगा।

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