छत्तीसगढ़ राज्य का प्रस्तुत बजट सरकार की स्तुति गान के सिवाय कुछ नहीं -तेजराम विद्रोही
राजिम। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विधान सभा मे बजट 2022-23 प्रस्तुत की गई जो केवल अपने सरकार का स्तुति गान के अलावा कुछ भी नहीं है। बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि सरकार कह रही है कि राज्य का सकल घरेलू विकास दर राष्ट्रीय दर से 3.64 प्रतिशत अधिक बताया है लेकिन राज्य सरकार विश्व बैंक व एशियाई विकास बैंक का कर्जदार है। किसान न्याय योजना की गुणगान तो किया गया है लेकिन 14 क्विंटल 20 किलो धान प्रति एकड़ समर्थन मूल्य में खरीदी करने के बाद बाकी फसल को किसान औने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर है उनके लिए कैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य की योजना हो इस पर कोई स्पष्ट नीति नहीं है। आदिवासी बहुल इलाकों में लगातार पेशा कानून व पांचवी व छटी अनुसूची की अवहेलना हो रही है इसके लिए राज्य में क्या रूपरेखा तैयार हो बजट में कोई प्रावधान नहीं है। लक्षित 10590 गौठानों में से 8119 गौठान पूर्ण हो चुके हैं अर्थात केवल 2471 गौठान बनाना बाकी है लेकिन धरातल में कुछ और है क्यों आज भी पशुओं का जमावड़ा सड़क पर बना हुआ है। पूर्ण हुए गौठानों में समुचित चारे व पानी का अभाव आज भी बनी हुई है। जरूर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना कर्मचारी हित में है। राज्य की युवाओं के लिए व्यापम व लोक सेवा आयोग की परीक्षा शुल्क में छूट थोड़ा राहत भरी है। लेकिन अंशकालिक और दैनिक वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ध्यान नहीं दिया गया है। पूर्ववर्ती सरकार की बकाया बोनस किसानों को देने का वायदा के साथ 60 साल पूर्ण कर चुके किसानों को पेंशन का भी वायदा था उस पर कुछ नहीं कहा गया है। थोड़ा देकर अपने ही मुँह मिया मिट्ठू करने वाली बजट दिखाई देता है।