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नदी के सड़क पर पत्थर बिछाने मजदूर कर रहे टीमवर्क,16 फरवरी से मांघी पुन्नी मेला शेष 5 दिन का ही बचा हुआ है समय

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । ट्रैक्टर के सामने लगी महिलाओं की भीड़ कहीं घुमने के लिए जाने की नहीं बल्कि त्रिवेणी संगम में चल रहे राजिम माघी पुन्नी मेला की तैयारी में लगे मजदूर महिलाएं वजनी पत्थर उतारने का काम कर रही है। चूंकि एक पत्थर की वजन 15 से लेकर 20 किलो तक होती है और इसे एक व्यक्ति के द्वारा उतारकर दूर तक ले जाना मुश्किल होता है ऐसे में टीमवर्क को महत्व देते हुए सैकड़ों महिलाएं एक दूसरे का हेल्प करते हुए मिलकर पत्थर को उठाकर सही जगह में ले जाकर रख आ रही है। इस दृश्य को देखने के बाद सेतुबंध की घटनाएं मस्तिष्क पटल पर उभर आती है। उस समय बड़े पत्थरों को बंदर भालू उठाकर सीधे समुद्र में ले जाकर रख देते थे और धीरे-धीरे करके सेतुबंध का काम 5 दिन में ही पूरा हो गया था उसी भांति नदी में सड़क बनाने का काम द्रुतगति से चल रहा है। कहीं पर बोरी में रेत भरकर पाइप लगाने का काम चल रहा है। इस तरह से नदी में चारों ओर सैकड़ों मजदूर काम में लगे हुए हैं। आने वाले 16 फरवरी यानी शेष 5 दिन बाद मांघी पूर्णिमा पर देश का प्रसिद्ध राजिम मेला लगेगा जिसमें देशभर के लोग आकर मेला का आनंद उठाएंगे। उल्लेखनीय है कि नदी की रेत पर इस बार सड़कों की चौड़ाई बढ़ा दी गई है अब 12 मीटर से बढ़कर 15 मीटर कर दी गई है इनमें से सड़क के बीचो बीच 3 मीटर तक फर्सी बिछाया जा रहा है। नदी में काम ही काम दिख रहा है चारों ओर रेत की सड़कें अस्तित्व में आ रहे हैं लेकिन सारे काम अस्थाई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार द्वारा स्थाई काम कराने के लिए चौबेबांधा मार्ग पर 54 एकड़ भूमि आरक्षित किए हैं और पिछले 2 सालों से स्थाई काम कराने की बात कह रही है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्यवाही होती नहीं दिख रही है और तो और तत्कालीन जिला कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने लेवलिंग का कार्य शुरू किया था उसे भी अब 28 दिसंबर से बंद कर दी गई है और नवीन मेला ग्राउंड में पूरी तरह से काम बंद हो गया है। नवीन पदस्थ गरियाबंद जिले के कलेक्टर नम्रता गांधी अभी तक लेवलिंग के कार्य को आगे नहीं बढ़ाया है और जस का तस पड़ा हुआ है।शासन-प्रशासन करोड़ों रुपए अस्थाई निर्माण में खर्च कर रही है। आखिरकार जमीन उपलब्ध होने के बाद भी ऐसी कौन सी स्थिति आ गई है जिसके कारण स्थाई निर्माण नहीं करवा पा रहे हैं जनता यह प्रश्न जरूर पूछ रही है।इधर मेला का दृश्य त्रिवेणी संगम पर वर्तमान में रौनकता लाने का काम कर रही है। मामा भाचा मंदिर से लेकर कुलेश्वरनाथ महादेव, लोमस ऋषि आश्रम, नेहरु घाट नवापारा तथा सीधे अटल घाट तक सड़के बनाई जा रही है। इस तरह से नदी की रेत पर 15 दिनों के लिए अस्थाई शहर बसने का काम जारी है। मेला को अब मात्र 5 दिन ही शेष रह गए हैं उस नजरिए से अभी तक नदी में नहीं कोई दुकान खड़ा हुए हैं और ना ही कहीं कोई कुटिया बने हुए दिखाई दिए। मेले में प्रतिवर्ष झांकी आते हैं। कभी महादेव का बड़ा आकार तो कभी पताल भैरवी या फिर स्वर्ग नरक जैसे दृश्य दिखाते हैं उनका भी कहीं अता-पता नहीं दिखाई दिया। खैर अभी समय है 5 दिनों में 120 घंटे होते हैं और इस अंतराल में बड़े से बड़ा काम किया जा सकता है वैसे बता देना जरूरी है कि राजिम मेला का इंतजार ना सिर्फ क्षेत्र के लोगों को बल्कि देशभर के लोगों को बेसब्री से रहता है।
नवागांव सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे
प्रयाग भूमि त्रिवेणी संगम का परिक्रमा पथ बेलाही पुल, राजिम पुल एवं चौबेबांधा पुल को माना गया है तीनों ओर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं राजिम पीडब्ल्यूडी विभाग ने चौबेबांधा तिराहा से लेकर पुल तक पैच वर्क किया है। इससे गड्ढे जरूर भर गए हैं लेकिन उबर खबर सड़क पर चलना अभी भी मुश्किल हो रहा है। खुद चौबेबांधा राजिम परसवानी पुल में नुकीली गिट्टी उभर कर बाहर आ गई है जिससे पैदल राहगीरों को परेशानी हो रही है तो दूसरी ओर दोपहिया वाहन पंचर हो जाते हैं। यहां से लेकर नवागांव के बेलाही घाट पुल तक सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हैं जिसे भरना निहायत जरूरी है। यहां पर धमतरी पीडब्ल्यूडी विभाग का काम नहीं दिख रहा है जिससे लोगों में नाराजगी है। कहना होगा कि मेला के समय पूरे 15 दिनों तक के लिए यही बाईपास मार्ग बनते हैं। मेला के नजदीक आते ही स्वागत गेट बनाने का काम भी जारी है बांस बल्ली के सहारे स्वागत द्वार बनाए जा रहे हैं।

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