ड्राइंग से बच्चों में सकारात्मक सोच आती है
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। श्रीराम संगीत कला केंद्र राजिम द्वारा 1 दिसंबर से ड्राइंग व पेंटिंग की निशुल्क प्रशिक्षण आयोजित किया गया है जिसमें बच्चे अधिक संख्या में सम्मिलित होकर के अपने ड्राइंग को बेहतर बना सकते हैं। संगीत केंद्र के संचालक तुलाराम साहू ने बताया कि ड्राइंग करना लगभग हर बच्चे को काफी पसंद होता है। ड्राइंग करने से बच्चे में कई तरह के कौशल विकसित होते हैं। जब बच्चा पढ़ने लगता है तो सबसे पहले वह जो चीज सीखता है, वह है ड्राइंग करना। छोटा सा बच्चा अपने हाथ में पेंसिल लेकर कॉपी या दीवारों पर ड्राइंग शुरू कर देता है। भले ही उसे सीधी लाइन खींचनी आए या ना आए, लेकिन वह ड्राइंग करना काफी पसंद करता है। समय के साथ उसकी ड्राइंग बेहतर होती जाती है। अगर बच्चा खुश होकर ड्राइंग करता है तो इससे उसे अन्य कई तरह के लाभ होते हैं। यह उनके व्यक्तित्व को कई तरह से प्रभावित करता है इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। जब वह ड्राइंग या पेंटिंग करते हैं तो वह अपने विचारों को आसानी से चित्रों के माध्यम से प्रगट कर सकते हैं। कोरे कागज पर ड्राइंग करते समय उनकी कल्पनाशक्ति काफी अधिक बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चे को किसी व्यक्ति या जानवर की ड्राइंग बनाना है तो वह उसे पहले अपने मन में विचार करते हैं और फिर वह उसे कागज पर उतारते हैं। ड्राइंग करते समय बच्चों को कई सवालों का सामना करना पड़ता है जैसे कि उन्हें किस रंग का उपयोग करना चाहिए या फिर ड्राइंग में उन्हें किस ऑब्जेक्ट को कहां प्लेस करना चाहिए, ताकि उनकी ड्राइंग बेहद खूबसूरत लगे। इस तरह वे अपने सभी प्रॉब्लम्स को खुद हल करते हैं और फिर उनमें यह कौशल धीरे-धीरे विकसित होने लगता है। ड्राइंग तनाव, चिंता या अवसाद को दूर करने में मदद करने के लिए जाना जाता है। यह आपके दिमाग को शांत करने और सभी नकारात्मक विचारों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे सकारात्मकता और अच्छे विचारों के लिए जगह बनती है।